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मार्च, 2018 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

हनुमान जयंती | Hanuman Jayanti - Blog 32

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हनुमान जयंती धर्म ग्रंथों में हनुमानजी के 12 नाम बताए गए हैं, जिनके द्वारा उनकी स्तुति की जाती है। गीताप्रेस गोरखपुर द्वारा प्रकाशित श्रीहनुमान अंक के अनुसार हनुमानजी के इन 12 नामों का जो रात में सोने से पहले व सुबह उठने पर अथवा यात्रा प्रारंभ करने से पहले पाठ करता है, उसके सभी भय दूर हो जाते हैं और उसे अपने जीवन में सभी सुख प्राप्त होते हैं। वह अपने जीवन में अनेक उपलब्धियां प्राप्त करता है। हनुमानजी की 12 नामों वाली स्तुति इस प्रकार है-  स्तुति हनुमानअंजनीसूनुर्वायुपुत्रो महाबल:। रामेष्ट: फाल्गुनसख: पिंगाक्षोअमितविक्रम:।। उदधिक्रमणश्चेव सीताशोकविनाशन:। लक्ष्मणप्राणदाता च दशग्रीवस्य दर्पहा।। एवं द्वादश नामानि कपीन्द्रस्य महात्मन:। स्वापकाले प्रबोधे च यात्राकाले च य: पठेत्।। तस्य सर्वभयं नास्ति रणे च विजयी भवेत्। राजद्वारे गह्वरे च भयं नास्ति कदाचन।। इन 12 नामो से होती है हनुमानजी की स्तुति, जानिए इनकी महिमा 1. हनुमान   हनुमानजी का यह नाम इसलिए पड़ा क्योकी एक बार कोधित होकर देवराज इंद्र ने इनके ऊपर अपने वज्र प्रहार किया था यह वज्र सीधे इनकी ठोड़ी (हनु) पर लगा। हनु...

जैविक सूक्ष्म तत्व (Micronutrients) बनाने की सामग्री और विधि - Blog 31

नया फॉर्मूला जैविक सूक्ष्म तत्व बनाने का सामग्री :: 1. 2किलो मक्का 2. 2 किलो सरसो 3. 2 किलो तिल 4. 2 किलो सूरजमुखी 5. 2 किलो मूंग 6. 2 किलो अरहर 7. 11 लोहे(iron) की मीडियम साइज की किले 8. तांबे के कोई पात्र या तार 9. 100 लीटर वेस्टडीकम्पोजर विधि :: मक्का,सरसो,तिल, सूरजमुखी,मूंग व अरहर को पीस कर बारीक आटा बना ले ।अब इन सब को 100 लीटर वेस्ट डीकम्पोजर में डाले और अच्छी तरह मिक्स कर दे । अब इसमें 11 किले लोहा को तांबे के पात्र मे डाले ।रोज इसको चलाते रहे ।7 से 10 दिन में आपका सॉल्यूशन तैयार है । जिसमे सभी सूक्ष्म तत्व जैसे आयरन , केल्शियम, मैग्नेशियम, प्रोटीन , विटामिन, पोटेशियम आदि सभी की मात्रा मिलेगी । यह पोस्ट सिर्फ आपकी जानकारी के लिए है इसके उपयोग से पहले विशेषज्ञ से जरूर सलाह दें| नया फॉर्मूला: जैविक सूक्ष्म तत्व (Micronutrients) बनाने की सामग्री और विधि (घरेलू जैविक खेती के लिए उपयोगी मिश्रण) यह जैविक सूक्ष्म तत्व मिश्रण मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने, पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता सुधारने और सूक्ष्म पोषक तत्त्वों की कमी को पूरा करने के लिए उपयोगी है। 🌱 सामग्री (...

उर्वरको से जुडे कुछ सवाल जवाब | Fertilizers Related Questions - Blog 30

1. प्रश्न- जैव उर्वरक क्या है ? उत्तर- कल्चर ही जैव उर्वरक है। यह जीवित सूक्ष्म जीवाणुओं से बना हुआ एक प्रकार का टीका है जैसे राइजोबियम, पी0एस0बी0 तथा एजैटोबैक्टर। 2. प्रश्न- पोटाश की खाद (म्यूरेट आफ पोटाश) का प्रयोग कब और कैसे करें ? उत्तर- हल्की मृदा में (बलुअर, बलुअर दोमट) में पोटाश का प्रयोग दो या तीन बार में लाभदायी होता है, क्योंकि हल्की मृदा में पोटाश पानी में घुलकर जड़ों के काफी नीचे चला जाता है। 3. प्रश्न- विभिन्न प्रकार की खाद एवं उर्वरक मौजूद है इन सबके प्रयोग का समय बतायें ? उत्तर- हरी खाद बुवाई से डेढ़ माह पूर्व, कम्पोस्ट/वर्मी बुवाई से एक माह पहले खेत में भली भॉंति मिला देना चाहिए। उर्वरकों (नत्रजनधारी, फास्फेटिक एवं पोटाश) का प्रयोग बुवाई के समय इस प्रकार करना चाहिए कि नत्रजनधारी की आधी मात्रा फास्फेट एवं पोटाश की पूरी मात्रा बुवाई के समय खेत में डाले तथा नत्रजन की शेष आधी मात्रा टाप ड्रेसिंग के रूप में खड़ी फसल में डाले। सूक्ष्म पोषक तत्वों वाली उर्वरक का प्रयोग मिट्टी जॉंच के आधार पर बुवाई के समय खेत में डालना चाहिए। 4. प्रश्न- धान के खेतों में नील हरित...

मिट्टी परीक्षण क्या है | What is Soil Testing - Blog 29

मिट्टी परीक्षण क्या है- खेत की मिट्टी में पौधो की समुचित वृध्दि एवं विकास हेतु आवश्यक पोषक तत्वों की उपलब्ध मात्राओं का रासायनिक परीक्षणों द्वारा आंकलन करना साथ ही विभिन्न मृदा विकास जैसे मृदा- लवणीयता, क्षारीयता एवं अम्लीयता की जांच करना मिट्टी परीक्षण कहलाता है| मिट्टी परीक्षण की आवश्यकता- पौधो की समुचित वृध्दि एवं विकास के लिये सर्वमान्य रूप से सोलह पोषक तत्व आवश्यक पाये गये है । यह अनिवार्य पोषक तत्व है। कार्बन, हाइड्रोजन, आक्सीजन, नत्रजन, फास्फोरस, पोटाश, कैल्शियम, मैग्निशियम एवं सल्फर ( मुख्य या अधिक मात्रा मे लगने वाले आवश्यक पोषक तत्व ) इन पोषक तत्वों मे से प्रथम तीन तत्वों को पौधे प्राय: वायु व पानी से प्राप्त करते है तथा शेष 13 पोषक तत्वों के लिये ये भूमि पर निर्भर होते है । सामान्यत: ये सभी पोषक तत्व भूमि में प्राकृतिक रूप से उपलब्ध रहते है । परन्तु खेत में लगातार फसल लेते रहने के कारण मिट्टी से इन सभी आवश्यक तत्वों का ह्ास निरन्तर हो रहा है । असन्तुलित पौध पोषण की दशा में फसलो की वृध्दि समुचित नहीं हो पाती तथा पौधो के कमजोर होने एवं रोग व्याधि, कीट आदि से ग्रसित...

PESTOZ मोबाइल ऐप: आपके स्मार्टफोन में 24x7 फसल डॉक्टर - Blog 28

PESTOZ Mobile App. भारत का पहला मोबाइल ऐप्स जो मात्र 10 सेकंड में खेत में लगी बीमारी ऒर उसका सॉल्यूशन बता देता है एक बार उपयोग करके जरूर देखें https://youtu.be/xGzEB5yaeW4 इस्तेमाल करने का तरीका इस वीडियो से समझे                 इस वीडियो को ज्यादा से ज्यादा किसान दोस्तो तक शेयर करें खेत में लगी बीमारी जानने के लिए डाउनलोड करो  playstore  bit.ly/pestoz PESTOZ मोबाइल ऐप: आपके स्मार्टफोन में 24x7 फसल डॉक्टर PESTOZ एक अत्याधुनिक मोबाइल एप्लिकेशन है जो किसानों को उनकी फसलों में होने वाले रोगों की पहचान करने में मदद करता है। यह ऐप विशेष रूप से भारत के किसानों के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिससे वे केवल अपने स्मार्टफोन के कैमरे का उपयोग करके फसल रोगों की पहचान कर सकते हैं। 🌿 PESTOZ ऐप की प्रमुख विशेषताएं: तेज़ और सरल प्रक्रिया : रोगग्रस्त पौधे या फसल का चयन करें। प्रभावित हिस्से की तस्वीर खींचें और ऐप में अपलोड करें। कुछ ही सेकंड में, ऐप रोग का विवरण और समाधान प्रदान करता है। समर्थित फसलें : टमाटर, फूलगोभी, पत्ता गोभी, ...

सिर्फ 800 रुपये में ऐसे त्यार करें जैविक खाद की फैक्टरी - Blog 26

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सिर्फ 800 रुपये में ऐसे त्यार करें जैविक खाद की फैक्टरी चार साल पहले, तमिलनाडु के इरोड जिले के गोबिचेत्तिपालयम स्थित मृदा कृषि विज्ञान केंद्र से मिली थोड़ी सी कागजी मदद से किसान जी. आर. सक्थिवेल के ऐसे ही एक प्रयास को भारत की किसान बिरादरी ने सराहा। सक्थिवेल ने गोबर से तरल खाद बनाने में सफलता पाई जिसका फसलों की पैदावार बढ़ाने में सफल इस्तेमाल हो रहा है। उन्होंने एक कंटेनर या डिब्बा खाद फैक्ट्री का विचार दिया। जिसमे न तो कोई सीमेंट का ढांचा खड़ा करना था, ना ही मजदूरी का खर्च था और ना ही कोई निर्माण का खर्च शामिल था। उन्होंने जिस सामान का इस्तेमाल किया वो एक प्लास्टिक का ड्राम (पीपा) था।इस पूरी व्यवस्था पर महज 800 से 1000 रुपये तक का ही खर्च बैठता है। ड्राम या पीपा व्यवस्था के दो फायदे हैं। पहला और सबसे स्पष्ट फायदा यह है कि यह आसानी से वहन करने योग्य है। दूसरा और समान रुप से अहम बात ये है कि इसे कहीं भी ले जाया जा सकता है। सीमेंट के अचल ढांचे से अलग, पीपे या ड्राम को किसान की जरूरत के हिसाब से खेत में कहीं भी रखा जा सकता है। इसका रख-रखाव भी बेहद आसान है और इसकी सफाई में भी ज्य...

निमेटोड का नियंत्रण: एक सम्पूर्ण मार्गदर्शिका | Control of Nematode - Blog 27

निमेटोड का नियंत्रण: एक सम्पूर्ण मार्गदर्शिका भूमिका निमेटोड (Nematodes) सूक्ष्मजीव होते हैं जो मिट्टी में रहते हैं और फसलों की जड़ों पर हमला करके उन्हें नुकसान पहुँचाते हैं। ये कीट सीधे पौधों से पोषण चूसते हैं जिससे पौधों की वृद्धि रुक जाती है और उत्पादन में भारी गिरावट आती है। निमेटोड नियंत्रण एक गंभीर कृषि समस्या है और इसका समय पर समाधान आवश्यक है। निमेटोड के प्रकार मुख्यतः दो प्रकार के निमेटोड फसलों को प्रभावित करते हैं: जड़ गाँठ (Root Knot Nematodes - Meloidogyne spp. ) जड़ों पर गाँठ जैसी सूजन बनती है। पौधे मुरझा जाते हैं और पीले पड़ जाते हैं। सूत्रकृमि (Cyst Nematodes - Heterodera spp. ) जड़ों में अंडाणु बैग बनते हैं। पौधों की वृद्धि धीमी होती है। निमेटोड के लक्षण पौधों का मुरझाना (विशेषकर दोपहर में) पीली या फीकी पत्तियाँ जड़ें छोटी और सड़ी हुई उत्पादन में गिरावट मिट्टी में असमान वृद्धि वाले पौधे नियंत्रण के उपाय 1. सांस्कृतिक नियंत्रण (Cultural Control) फसल चक्र अपनाना: दालों, मक्का, बाजरा जैसी गैर-आतिथ्य फसलें उगाना। गहरी जुताई: मिट...

जैविक खाद और जैविक खेती की कुछ उपयोगी लिंक | Some Important Link Of Organic Manure or Organic Farming - Blog 25

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जैविक खाद से सम्बंधित सभी जानकारी को सूचीबद्ध करके कुछ कड़ियाँ बनाई गई हैं, आशा करते हैं कि यह आप सभी के लिए उपयोगी होगी - कम्पोस्ट खाद : -http://goo.gl/suJa8R कम्पोस्ट खाद : -http://goo.gl/z64fOL मटका खाद : -http://goo.gl/RH3Cjq जीवामृत: -http://goo.gl/PeBSZq जीवामृत: -http://goo.gl/rCG7My घन जीवामृत :-http://goo.gl/AmlUQt पंचगव्य : -http://goo.gl/XrKIQm केंचुआ खाद:-http://goo.gl/fjHvww केंचुआ खाद:-http://goo.gl/3S3Q1 केंचुआ खाद:-http://goo.gl/VXdBG8 वर्मी वाश : -http://goo.gl/S2z7MZ वर्मी वाश : -http://goo.gl/zpaJZU हरी खाद:-http://goo.gl/0D7BnV हरी खाद:-http://goo.gl/NLaIk8 हरी खाद:-http://goo.gl/uV3UXA नाडेप विधि:-http://goo.gl/Oqhavo सींग खाद (बी.डी500) :-http://goo.gl/j3CTS5 सींग खाद (बी.डी500) :-http://goo.gl/bsbqup सी.पी.पी :-http://goo.gl/cf6ZdS सी.पी.पी :-http://goo.gl/ZMQ71Y गोबर गैस स्लरी खाद :-http://goo.gl/PRGCvJ गोबर गैस स्लरी खाद :-http://goo.gl/4ZWoYB जैव उर्वरक :-http://goo.gl/oDUV3U जैव उर्वरक :-http://goo.gl/tdn9YC जैव उर्वरक :-http:...

प्राकृतिक कीट नियंत्रक | Natural Insect Controller- Blog 24

यहाँ पर आपको प्राकृतिक कीट नियंत्रक (Natural Insect Controller) की एक संपूर्ण सूची मिल रही है, जो पर्यावरण-अनुकूल (eco-friendly), सस्ती और जैविक खेती के लिए उपयोगी है। 🌿 प्राकृतिक कीट नियंत्रक (Natural Insect Controller) 1. 🌱 नीम आधारित कीटनाशक (Neem Extract / Neem Oil) कैसे काम करता है: नीम में "अज़ाडिरैक्टिन (Azadirachtin)" नामक यौगिक होता है जो कीटों की प्रजनन शक्ति और भोजन की इच्छा को खत्म करता है। प्रयोग: 5ml नीम तेल + 1 लीटर पानी + थोड़ा साबुन मिलाकर स्प्रे करें। 2. 🌿 लहसुन-अदरक-मिर्च का घोल (Garlic-Ginger-Chilli Extract) कैसे काम करता है: तीव्र गंध और तीखापन कीटों को दूर भगाता है। विधि: 100 ग्राम लहसुन + 100 ग्राम अदरक + 50 ग्राम हरी मिर्च को पीसकर 1 लीटर पानी में घोल बनाएं, छानकर छिड़काव करें। 3. 🌼 तंबाकू का अर्क (Tobacco Extract) कीट: रस चूसने वाले कीट – माहू, सफेद मक्खी विधि: 100 ग्राम तंबाकू को 1 लीटर पानी में 24 घंटे भिगोकर छानें और छिड़कें। 4. 🌻 अरंडी का तेल (Castor Oil) प्रयोग: 10ml तेल को 1 लीटर पानी में मिलाकर कीटों पर छिड़क...

51 surefire Tips that always work | हमेशा काम आने वाले 51 अचूक नुस्खे - Blog 23

|| 51 surefire Tips that always work || || हमेशा काम आने वाले 51 अचूक नुस्खे || हमारे जीवन में रोगों का प्रभाव पड़ता ही रहता है -हम छोटी-मोटी बीमारियों का इलाज स्वयं कर सकते है आज हम आप के लिए लाये हैं साधारण छोटे-छोटे प्रयोग जिनको आप अवश्य अपनाए कुछ प्रयोग नीचे दिए गए है जो आपके घर में ही उपलब्ध है अजमाए और लाभ ले – 1.दमे के लिये तुलसी और वासा:-  दमे के रोगियों को तुलसी की १० पत्तियों के साथ वासा (अडूसा या वासक) का २५० मिलीलीटर पानी में उबालकर काढ़ा बनाकर दें। लगभग २१ दिनों तक सुबह यह काढ़ा पीने से आराम आ जाता है- 2.मौसमी खाँसी के लिये सेंधा नमक:-  सेंधा नमक की लगभग 5 ग्राम डली को चिमटे से पकड़कर आग पर, गैस पर या तवे पर अच्छी तरह गर्म कर लें। जब लाल होने लगे तब गर्म डली को तुरंत आधा कप पानी में डुबोकर निकाल लें और नमकीन गर्म पानी को एक ही बार में पी जाएँ। ऐसा नमकीन पानी सोते समय लगातार दो-तीन दिन पीने से खाँसी, विशेषकर बलगमी खाँसी से आराम मिलता है। नमक की डली को सुखाकर रख लें एक ही डली का बार बार प्रयोग किया जा सकता है- 3.बैठे हुए गले के लिये मुलेठी का चूर्ण:-  मुलेठी क...