सिर्फ 800 रुपये में ऐसे त्यार करें जैविक खाद की फैक्टरी - Blog 26

  • सिर्फ 800 रुपये में ऐसे त्यार करें जैविक खाद की फैक्टरी
  • चार साल पहले, तमिलनाडु के इरोड जिले के गोबिचेत्तिपालयम स्थित मृदा कृषि विज्ञान केंद्र से मिली थोड़ी सी कागजी मदद से किसान जी. आर. सक्थिवेल के ऐसे ही एक प्रयास को भारत की किसान बिरादरी ने सराहा।
  • सक्थिवेल ने गोबर से तरल खाद बनाने में सफलता पाई जिसका फसलों की पैदावार बढ़ाने में सफल इस्तेमाल हो रहा है।
  • उन्होंने एक कंटेनर या डिब्बा खाद फैक्ट्री का विचार दिया। जिसमे न तो कोई सीमेंट का ढांचा खड़ा करना था, ना ही मजदूरी का खर्च था और ना ही कोई निर्माण का खर्च शामिल था। उन्होंने जिस सामान का इस्तेमाल किया वो एक प्लास्टिक का ड्राम (पीपा) था।इस पूरी व्यवस्था पर महज 800 से 1000 रुपये तक का ही खर्च बैठता है।
  • ड्राम या पीपा व्यवस्था के दो फायदे हैं। पहला और सबसे स्पष्ट फायदा यह है कि यह आसानी से वहन करने योग्य है। दूसरा और समान रुप से अहम बात ये है कि इसे कहीं भी ले जाया जा सकता है। सीमेंट के अचल ढांचे से अलग, पीपे या ड्राम को किसान की जरूरत के हिसाब से खेत में कहीं भी रखा जा सकता है। इसका रख-रखाव भी बेहद आसान है और इसकी सफाई में भी ज्यादा वक्त नहीं लगता है।
  • इस प्रक्रिया के परिणास्वरुप पोषक तत्वों से भरपूर खाद तैयार हो जाता है। उन्होंने इस खाद को पतला बनाया और ड्रिप लाइन का इस्तेमाल करते हुए गन्ने के खेत में इससे सीधे सिंचाई की। इस तरह से गोबर के अवशेष भी बर्बाद नहीं होते हैं।

□  खाद बनाने का तरीका :
  • बैरल यानी पीपा में सामने लगाने के लिए दो 3/4 ईंच का गेट वॉल्व चाहिए और पीछे लगाने के लिए एक 1 ईंच का गेट वॉल्व चाहिए। पीछे का गेट वॉल्व बड़ा चाहिए जहां से गोबर के निकलने का रास्ता होगा। इस पीपे में गोबर और मूत्र डालते हैं और उसमे चीनी मिलाते हैं, हालांकि आप चीनी की जगह पपीता भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
  • इस पीपे में स्थानीय प्रजाति के गाय या दूसरे पशुओं के गोबर का ही इस्तेमाल किया जाना चाहिए क्योंकि दूसरों के मुकाबले इसमे ज्यादा माइक्रोबियल क्रिया होती है।
  • इसके लिए हमें एक किलो गोबर, 5 लीटर मूत्र और चीनी चाहिए। चीनी की जगह गन्ने के अवशेष का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। सभी को अलग-अलग मिलाएं और पीपे में रख दें और पानी से भर दें।
  • इसे 24 घंटे के लिए छोड़ दें। इससे ठोस अपशिष्ट पदार्थ नीचे बैठ जाता है। एक गेट वॉल्व तलहटी से एक फीट ऊपर होता है, दूसरा सवा एक फीट ऊपर होता है। जब आप सबसे ऊपर का वॉल्व खोलेंगे तो आपको यहां साफ तरल पदार्थ मिलेगा जो आपका तरल खाद है।

  •  अब यहां एक अहम सवाल यह उठता है कि हम कैसे और कितनी बार इस इस खाद का इस्तेमाल कर सकते हैं।
इसका जवाब है कि आप इसका इस्तेमाल प्रति सप्ताह एक बार कर सकते हैं। इसके इस्तेमाल से धीरे-धीरे आपके खेत की मिट्टी की गुणवत्ता में धीरे-धीरे सुधार होने लगेगा। अगर संभव हो तो आपका इसका प्रतिदिन करें। इसका कोई नुकसान नहीं होता है।
साथ ही मात्रा को लेकर भी कोई दिक्कत नहीं है क्योंकि यह जैविक है इसलिए ज्यादा इस्तेमाल से कोई नुकसान नहीं होता है।

यह तरल खाद मिट्टी को सूक्ष्म पोषक तत्वों से भर देता है। इससे पैदावार बढ़ती है जिसका सीधा फायदा किसानों को होता है। इस खाद से पानी की खपत भी कम होती है। 

सावधानी : पीपे को ढंक कर रखें ताकि कोई कीट इसके भीतर अंडा न दे सकें। पहले गेट के उपर 25 लीटर की क्षमता होती है। पहले और दूसरे वॉल्व के बीच की क्षमता 150 लीटर होती है।

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