उर्वरको से जुडे कुछ सवाल जवाब | Fertilizers Related Questions - Blog 30

1.प्रश्न- जैव उर्वरक क्या है ?
उत्तर- कल्चर ही जैव उर्वरक है। यह जीवित सूक्ष्म जीवाणुओं से बना हुआ एक प्रकार का टीका है जैसे राइजोबियम, पी0एस0बी0 तथा एजैटोबैक्टर।

2. प्रश्न- पोटाश की खाद (म्यूरेट आफ पोटाश) का प्रयोग कब और कैसे करें ?
उत्तर- हल्की मृदा में (बलुअर, बलुअर दोमट) में पोटाश का प्रयोग दो या तीन बार में लाभदायी होता है, क्योंकि हल्की मृदा में पोटाश पानी में घुलकर जड़ों के काफी नीचे चला जाता है।

3. प्रश्न- विभिन्न प्रकार की खाद एवं उर्वरक मौजूद है इन सबके प्रयोग का समय बतायें ?
उत्तर- हरी खाद बुवाई से डेढ़ माह पूर्व, कम्पोस्ट/वर्मी बुवाई से एक माह पहले खेत में भली भॉंति मिला देना चाहिए। उर्वरकों (नत्रजनधारी, फास्फेटिक एवं पोटाश) का प्रयोग बुवाई के समय इस प्रकार करना चाहिए कि नत्रजनधारी की आधी मात्रा फास्फेट एवं पोटाश की पूरी मात्रा बुवाई के समय खेत में डाले तथा नत्रजन की शेष आधी मात्रा टाप ड्रेसिंग के रूप में खड़ी फसल में डाले। सूक्ष्म पोषक तत्वों वाली उर्वरक का प्रयोग मिट्टी जॉंच के आधार पर बुवाई के समय खेत में डालना चाहिए।

4. प्रश्न- धान के खेतों में नील हरित शैवाल के प्रयोग से क्या लाभ है ?
उत्तर- यूरिया की आधी बचत होती है तथा खेत ऊसर होने से बचा रहता है।

5. प्रश्न- जैव उर्वरक के प्रयोग के बारे में बताएं ?
उत्तर- दलहन वाली फसलों में राइजोबियम कल्चर का प्रयोग, धान्य फसलों में एजटोबैक्टर का प्रयोग तथा सभी फसलों में फास्फेट की उपलब्धता हेतु पी0एस0बी0 का प्रयोग लाभदायी है। 10 किग्रा बीज के शोधन हेतु 1 पैकेट (200 ग्राम) तथा भूमि उपचार में प्रति एकड़ 20 पैकेट (04 किग्रा) कल्चर 40 किग्रा छनी मिट्टी में मिलाकर प्रयोग करना चाहिए।

6. प्रश्न- खेती में रासायनिक खादों के लगातार डालने से जो उर्वरा शक्ति कमजोर हुई है उसके समाधान का उपाय बताएं ?
उत्तर- मिट्टी परीक्षण के आधार पर रासायनिक खादों के साथ खेत में जैविक खाद जैसे गोबर, वर्मीकम्पोस्ट, हरीखाद, जैव उर्वरक तथा फसलों के अवशेष आदि का प्रयोग अवश्य करें।

7. प्रश्न- ऊसरीली मिट्टी बनने का कारण बताएं?
उत्तर- ऊसर बनने के लिए मुख्य रूप से सिंचाई जल तथा मृदा प्रोफाइल में कड़ी परत के होने से सिंचाई करने पर यह समस्या आती है तथा जीवॉंश की कमी भी ऊसर बनने में सहयोग देता है।

8. प्रश्न- क्या कारण है कि उर्वरकों के प्रयोग के बावजूद भी उपज नहीं बढ़ रही है।
उत्तर- उर्वरक उपयोग द्वारा उपज में वृद्धि न होने के प्रमुख कारण है – उर्वरकों का असन्तुलित उपयोग, द्वितीयक एवं सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी, अनुचित जल प्रबन्धन तथा उर्वरकों की संदिग्ध गुणवत्ता है।

9. प्रश्न- उर्वरकों के प्रयोग से अधिकतम लाभ कैसे मिले?
उत्तर- मिट्टी परीक्षण के आधार पर संतुलित उर्वरकों का प्रयोग किया जाए।
फास्फोरसधारी उर्वरकों को कूॅंड में ही डालना चाहिए।
दलहनी फसलों में राइजोवियम कल्चर का प्रयोग अवश्य किया जाए।
गंधक की कमी वाले क्षेत्रों में सिंगल सुपर फास्फेट तथा अमोनियम सल्फेट को वरीयता के आधार पर दिया जाए।
नाइट्रोजनधारी उर्वरकों की टाप ड्रेसिंग में सावधानी बरती जाए अर्थात दोपहर बाद टाप ड्रेसिंग उर्वरक को यथा संभव मिट्टी में मिला देना चाहिए।
उन्नत खेती की संस्तुतियों का अनुपालन किया जाए।

10. प्रश्न- फसलों में मुख्य पोषक तत्वों की कमी के क्या लक्षण है मौटे तौर पर बतायें ?
उत्तर- नत्रजन की कमी होने पर पौधे बौने रह जाते है, पुरानी पत्तियॉं पहले पीली तथा बाद में सूखने लगती है तथा उत्पादन घट जाता है।

11. प्रश्न- सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी का उपचार कैसे करें ?
उत्तर- जिंक की कमी होने पर – जिंक सल्फेट 21 प्रतिशत अथवा 33 प्रतिशत का प्रयोग करें।
लोहा की कमी के लिए – फेरस सल्फेट 19 प्रतिशत।
तॉंबा की कमी के लिए – कॉंपर सल्फेट 25 प्रतिशत।
बोरान की कमी के लिए -बोरेक्स सल्फेट 11 प्रतिशत।
मैगनीज की कमी के लिए -मैगनीज सल्फेट 26 प्रतिशत।
मालिब्डेनम की कमी के लिए -अमोनियम मालिब्डेट 54 प्रतिशत का प्रयोग करें।

12. प्रश्न- डी0ए0पी0 में कितना प्रतिशत नत्रजन एवं फास्फेट होता है।
उत्तर- डी0ए0पी0 में 18 प्रतिशत नत्रजन एवं 46 प्रतिशत फास्फेट की मात्रा उपलब्ध होती है।

13. प्रश्न- एन0पी0के0 कई तरह के बाजार में उपलब्ध है। उनमें बेहतर कौन है।
उत्तर- प्रदेश में एन0पी0के0 12:32:16, 20:20:0, 10:26:26, 19:19:19 के मिश्रण उपलब्ध है। सभी के प्रयोग लाभदायी होते है ध्यान रखे मृदा परीक्षण के आधार पर ही इनका प्रयोग करें।

14. प्रश्न- जिंक सल्फेट कई ग्रेड के है कौन सा उपयोगी है।
उत्तर- जिंक मुख्य रूप से 21 प्रतिशत तथा 33 प्रतिशत के उपलब्ध हैं। 21 प्रतिशत का जिंक ज्यादा कारगर है। इसका प्रयोग आसान है क्योंकि यह रवेदार होता है, जबकि 33 प्रतिशत का जिंक पाउडर के रूप में होता है।

15. प्रश्न- कई बार उर्वरकों के प्रयोग का असर फसलों पर नहीं दिखता है। क्या करें।
उत्तर- गुणवत्ता विहीन उर्वरक तथा प्रयोग विधि उचित न होने पर उर्वरकों का असर फसलों पर नहीं आता है। इसलिए आवश्यक है कि गुणवत्तायुक्त उर्वरक हीं खरीदें तथा दुकान से रसीद अवश्य प्राप्त करें। असर न होने पर इसकी शिकायत जिला कृषि अधिकारी को अवश्य करें।

16. प्रश्न- उर्वरकों का प्रयोग बेहतर ढंग से कैसे हो ?
उत्तर- उर्वरकों के प्रकार के अनुसार ही प्रयोग किया जाना चाहिए। ध्यान रखें कि डी0ए0पी0 एवं म्यूरेट आफ पोटाश बुवाई के समय कूॅंड में ही बो देना चाहिए जबकि यूरिया का प्रयोग खड़ी फसल में छिड़ककर (टाप ड्रेंिसंग) के रूप में करने से बेहतर लाभ प्राप्त होता है।

17. प्रश्न-अक्सर वैज्ञानिकों/ अधिकारियों द्वारा कहा गया है 150:60:40 (एन0पी0के0) किग्रा/हे0 का प्रयोग करें। इस अनुपात की मात्रा बतायें ?
उत्तर- 150:60:40 के अनुपात पर 270 किग्रा0 यूरिया, 130 किग्रा डी0ए0पी0 तथा 70 किग्रा0 म्यूरेट आफ पोटाश प्रति हेक्टेयर की मात्रा आती है।

18. प्रश्न- संस्तुत खाद की मात्रा किस उर्वरक से आपूर्ति करें?
उत्तर- फास्फेट की पूर्ति सिंगल सुपर फास्फेट से पोटाश को म्यूरेट आफ पोटाश तथा नत्रजन को यूरिया से देना चाहिए। यदि फास्फेट की पूर्ति डी0ए0पी0 से की जा रही है तो बुवाई के समय 200-250 किग्रा0/हेक्टेयर जिप्सम देना लाभदायी होता है।

19. प्रश्न- जिंक सल्फेट की खाद पर क्या कोई सरकार द्वारा कोई छूट है।
उत्तर- जिंक सल्फेट पर वर्तमान में 90 प्रतिशत की छूट प्रदान की गयी है, जिसे राजकीय बिक्री केन्द्रो से प्राप्त किया जा सकता है।

20. प्रश्न- बायो फर्टीलाइजर के क्रय पर कितनी छूट अनुमन्य हैं।
उत्तर- वर्तमान में 90 प्रतिशत की छूट प्रदान की गयी है।

21. प्रश्न- एकीकृत पोषक तत्व प्रबन्धन क्या हैं।
उत्तर- इसे आई0पी0एन0एम0 से भी जाना जाता है। इस विधा में संतुलित उर्वरकों का प्रयोग फसल की आवश्यकता के अनुसार किया जाता है। जिसमें जैविक खाद का प्रयोग आवश्यक होता है। जिससे मृदा का स्वास्थ्य टिकाऊ रह सके।

22. प्रश्न- खेतों में फसलों के अवशेष को जलाना हानिकारक है अथवा लाभदायी है।
उत्तर- फसलों के अवशेषों को खेत में ही मिला देना लाभदायी है। अवशेषों को खेत में कभी भी न जलायें। यह एक हानिकारक प्रक्रिया है।

23. प्रश्न- उर्वरकों की गुणवत्ता खराब होने पर बिक्री केन्द्र/दुकान पर क्या कार्यवाही होती है।
उत्तर- बिक्री केन्द्र का लाइसेन्स निरस्त किया जाता है तथा एफ0आई0आर0 जैसी कानूनी कार्यवाही भी सम्भावित रहती है।

24. प्रश्न- जिंक सल्फेट का प्रयोग डी0ए0पी0 के साथ या एस0एस0पी0 के साथ कर सकते है।
उत्तर- जी नहीं, इसका प्रयोग एक साथ करने से लाभ नहीं मिल पाता है।

25. प्रश्न- नाडेप कम्पोस्ट में कितना पोषक तत्व रहता है।
उत्तर- यह अन्य कम्पोस्ट की तुलना में जल्दी तैयार हो जाता है तथा लगभग 1.0 प्रतिशत नत्रजन, 1.5 प्रतिशत फास्फोरस तथा 1.0 प्रतिशत पोटाश के साथ अन्य आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्व भी पाये जाते है।

26. प्रश्न- वर्मीकम्पोस्ट की कितनी मात्रा उपयोगी होती है।
उत्तर- सामान्य तौर पर 3 से 5 टन प्रति हेक्टेयर वर्मीकम्पोस्ट खेती के लिए उपयोगी होता है।

27. प्रश्न- काऊ पैटपिट क्या है।
उत्तर- यह एक प्रकार की जीवॉंश खाद है, जिसे गाय के सींग द्वारा तैयार किया जाता है। जैविक खेती के लिए सर्वोत्तम है।

28. प्रश्न- बायोडायनिमिक कम्पोस्ट क्या है।
उत्तर- जानवरों के गोबर, सूखी पत्तियॉं, हरी पत्तियॉं तथा फसलों के बिछावन आदि को मिलाकर सूक्ष्म जीवाणुओं के प्रयोग से सड़ाकर तैयार किया गया कम्पोस्ट बायोडायनिमिक कम्पोस्ट कहलाता है। इसे वैज्ञानिक विधि द्वारा तैयार किया जाता है।

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