प्राकृतिक कीट नियंत्रक | Natural Insect Controller- Blog 24
यहाँ पर आपको प्राकृतिक कीट नियंत्रक (Natural Insect Controller) की एक संपूर्ण सूची मिल रही है, जो पर्यावरण-अनुकूल (eco-friendly), सस्ती और जैविक खेती के लिए उपयोगी है।
🌿 प्राकृतिक कीट नियंत्रक (Natural Insect Controller)
1. 🌱 नीम आधारित कीटनाशक (Neem Extract / Neem Oil)
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कैसे काम करता है: नीम में "अज़ाडिरैक्टिन (Azadirachtin)" नामक यौगिक होता है जो कीटों की प्रजनन शक्ति और भोजन की इच्छा को खत्म करता है।
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प्रयोग: 5ml नीम तेल + 1 लीटर पानी + थोड़ा साबुन मिलाकर स्प्रे करें।
2. 🌿 लहसुन-अदरक-मिर्च का घोल (Garlic-Ginger-Chilli Extract)
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कैसे काम करता है: तीव्र गंध और तीखापन कीटों को दूर भगाता है।
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विधि:
100 ग्राम लहसुन + 100 ग्राम अदरक + 50 ग्राम हरी मिर्च को पीसकर 1 लीटर पानी में घोल बनाएं, छानकर छिड़काव करें।
3. 🌼 तंबाकू का अर्क (Tobacco Extract)
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कीट: रस चूसने वाले कीट – माहू, सफेद मक्खी
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विधि: 100 ग्राम तंबाकू को 1 लीटर पानी में 24 घंटे भिगोकर छानें और छिड़कें।
4. 🌻 अरंडी का तेल (Castor Oil)
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प्रयोग: 10ml तेल को 1 लीटर पानी में मिलाकर कीटों पर छिड़कें।
5. 🐜 फेरोमोन ट्रैप्स (Pheromone Traps)
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उपयोग: नर कीटों को आकर्षित कर फँसाने के लिए।
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कीट: फल मक्खियाँ, स्पोडोप्टेरा, हेलिओथिस आदि।
6. 🌾 लाइट ट्रैप (Light Trap)
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रात को उड़ने वाले कीटों को प्रकाश से आकर्षित कर पकड़ने के लिए।
7. 🌿 जैविक कीट नियंत्रण एजेंट्स (Biological Agents)
जैविक एजेंट | उपयोग | किस पर असर |
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ट्राइकोडर्मा | फफूंद रोधी | जड़ सड़न, damping off |
बेसिलस थुरिंजिनेसिस (BT) | खाने वाले कीटों के लिए | कैटरपिलर (इल्ली) |
ब्यूवेरिया बेसियाना | संपर्क में आने वाले कीट | टिड्डा, सफेद मक्खी |
मेटाराइजियम | कीटों की त्वचा में प्रवेश | दीमक, बीटल |
8. 🍋 सिट्रस घोल (Lemon Extract Spray)
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प्रभाव: रस चूसने वाले कीटों पर असरदार।
9. 🌾 धतूरा और आक अर्क (Datura + Calotropis Extract)
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जहरीला गुण: कीटों की प्रजनन प्रक्रिया को बाधित करता है।
10. 🐦 प्राकृतिक शत्रु (Natural Predators)
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लेडी बर्ड बीटल (Ladybird beetle): माहू और छोटे कीटों को खाती है।
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ट्राइकोग्रामा वास्प: कीटों के अंडों में परजीवी बनती है।
✅ फायदे:
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पर्यावरण सुरक्षित
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जमीन की उर्वरता बनी रहती है
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लागत कम होती है
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फसल सुरक्षित व रसायन मुक्त रहती है
एक एकड़ खेत के लिए अगर कीटनाशक तैयार करना है तो :
□ 20 लीटर किसी भी देसी गौ माता या देसी बैले का मूत्र चाहिए।
□ 20 लीटर मूत्र में लगभग 2.5 किलो ( आधा किलो कम या ज्यादा हो सकता है ) नीम की पत्ती को पीसकर उसकी चटनी मिलाइए, 20 लीटर मूत्र में।
नीम के पत्ते से भी अच्छा होता है नीम की निम्बोली की चटनी ।
□ इसी तरह से एक दूसरा पत्ता होता है धतूरे का पत्ता। लगभग 2.5 किलो धतूरे के पत्ते की चटनी मिलाइए उसमें।
□ एक पेड़ होता है जिसको आक या आँकड़ा कहते हैं, अर्कमदार कहते हैं आयुर्वेद में। इसके भी पत्ते लगभग ढार्इ किलो लेकर इसकी चटनी बनाकर मिलाए।
□ जिसको बेलपत्री कहते हैं, जिसके पत्र आप शंकर भगवान के उपर चढ़ाते हैं । बेलपत्री या विल्वपत्रा के पते की ढार्इ किलो की चटनी मिलाए उसमें।
□ फिर सीताफल या शरीफा के ढार्इ किलो पतो की चटनी मिलाए उसमें।
□ आधा किलो से 750 ग्राम तक तम्बाकू का पाऊडर और डाल देना।
□ इसमें 1 किलो लाल मिर्च का पाऊडर भी डाल दें ।
□ इसमे बेशर्म के पत्ते भी ढार्इ किलो डाल दें ।
तो ये पांच-छह तरह के पेड़ों के पत्ते आप ले लो ढार्इ- ढार्इ किलो।
इनको पीसकर 20 लीटर देसी गौमाता या देसी बैले मूत्र में डालकर उबालना हैं, और इसमें उबालते समय आधा किलो से 750 ग्राम तक तम्बाकू का पाऊडर और डाल देना। ये डालकर उबाल लेना हैं उबालकर इसको ठंडा कर लेना है और ठंडा करके छानकर आप इसको बोतलों में भर ले रख लीजिए। ये कभी भी खराब नहीं होता। ये कीटनाशक तैयार हो गया।
□ अब इसको डालना कैसे है?
जितना कीटनाशक लेंगे उसका 20 गुना पानी मिलाएं।
अगर एक लीटर कीटनाशक लिया तो 20 लीटर पानी, 10 लीटर कीटनाशक लिया तो 200 लीटर पानी, जितना कीटनाशक आपका तैयार हो, उसका अंदाजा लगा लीजिए आप, उसका 20 गुना पानी मिला दीजिए।
पानी मिलकर उसको आप खेत में छिड़क सकते हैं किसी भी फसल पर। इसका परिणाम आपको दो से तीन दिन के अंदर फसल पर देखने को मिल जाएंगे।
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