निमेटोड का नियंत्रण: एक सम्पूर्ण मार्गदर्शिका | Control of Nematode - Blog 27
निमेटोड का नियंत्रण: एक सम्पूर्ण मार्गदर्शिका
भूमिका
निमेटोड (Nematodes) सूक्ष्मजीव होते हैं जो मिट्टी में रहते हैं और फसलों की जड़ों पर हमला करके उन्हें नुकसान पहुँचाते हैं। ये कीट सीधे पौधों से पोषण चूसते हैं जिससे पौधों की वृद्धि रुक जाती है और उत्पादन में भारी गिरावट आती है। निमेटोड नियंत्रण एक गंभीर कृषि समस्या है और इसका समय पर समाधान आवश्यक है।
निमेटोड के प्रकार
मुख्यतः दो प्रकार के निमेटोड फसलों को प्रभावित करते हैं:
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जड़ गाँठ (Root Knot Nematodes - Meloidogyne spp.)
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जड़ों पर गाँठ जैसी सूजन बनती है।
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पौधे मुरझा जाते हैं और पीले पड़ जाते हैं।
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सूत्रकृमि (Cyst Nematodes - Heterodera spp.)
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जड़ों में अंडाणु बैग बनते हैं।
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पौधों की वृद्धि धीमी होती है।
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निमेटोड के लक्षण
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पौधों का मुरझाना (विशेषकर दोपहर में)
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पीली या फीकी पत्तियाँ
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जड़ें छोटी और सड़ी हुई
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उत्पादन में गिरावट
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मिट्टी में असमान वृद्धि वाले पौधे
नियंत्रण के उपाय
1. सांस्कृतिक नियंत्रण (Cultural Control)
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फसल चक्र अपनाना: दालों, मक्का, बाजरा जैसी गैर-आतिथ्य फसलें उगाना।
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गहरी जुताई: मिट्टी को पलटकर गर्मी में सुखाना निमेटोड को मारने में मदद करता है।
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स्वस्थ बीजों का चयन: रोग मुक्त प्रमाणित बीज का प्रयोग करें।
2. जैविक नियंत्रण (Biological Control)
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जैव-नियंत्रक जीवों का प्रयोग: जैसे Paecilomyces lilacinus, Trichoderma spp., और Pochonia chlamydosporia
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नीम की खली या पत्तियों का उपयोग: इससे निमेटोड की संख्या में कमी आती है।
3. रासायनिक नियंत्रण (Chemical Control)
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निमेटोसाइड्स का छिड़काव: जैसे कि कार्बोफ्यूरान (Carbofuran), फेनामिफोस (Phenamiphos) आदि।
नोट: रासायनिक दवाओं का प्रयोग करते समय विशेषज्ञ की सलाह और सावधानी आवश्यक है।
4. प्रतिरोधी किस्मों का चयन
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ऐसे बीज चुनें जो निमेटोड-प्रतिरोधी हों, जैसे कुछ टमाटर, बैंगन, और आलू की किस्में।
निष्कर्ष
निमेटोड का नियंत्रण एक सतत प्रक्रिया है जिसे फसल की शुरुआत से ही अपनाना आवश्यक है। जैविक और सांस्कृतिक उपायों के साथ रासायनिक नियंत्रण का संतुलित प्रयोग निमेटोड से बचाव का सबसे प्रभावी तरीका है। सही जानकारी और समय पर कदम उठाकर किसान अपनी उपज को सुरक्षित रख सकते हैं।
निमेटोड संसार की हर फसल में पाया जाता है। यह कई वर्षों तक मिटटी के निचे दबे रहते हैं और पौधों को नुक्सान पहुंचाते हैं। यह पौधों की जड़ों में लग जाते हैं और उनका रस चूसते रहते हैं जिससे न्यूट्रीएटंस पौधे को नहीं मिल पाते हैं जिससे पौधों का विकास रुक जाता है और पौधा मर जाता है। मिट्टी में
रसायन डाल कर ईनको (निमेटोड ) मारने का प्रयास महंगा ही नहीं बल्कि प्रभाव हीन भी होता है।
निमेटोड को प्रभावि रूप से समाप्त करने के लिए नीम खली का उपयोग ही बेहतर है। बुवाई से पहले नीमखली डाल कर गहरी जुताई करें फिर बुवाई करें।
फलदार पौधों में अनार, निम्बु, संतरा आदि में निमेटोड का अटैक ज्यादा होता है । इसके लिए पौधों को रोपने से पहले आधा किलो नीम खली प्रति पौधा के हिसाब से मिट्टी में मिला कर रोपाई करें और घुलनशील नीम तेल ड्रिप सिस्टम में डाल कर सींचाई करें। अगर पौधे पहले से लगा रखे हैं तो -
अगर पौधे एक साल के हो तो आधा किलो नीम की खली प्रति पौधा के हिसाब से मिट्टी में मिला कर सींचाई करें।
अगर पौधे दो साल के हो तो एक किलो नीम की खली प्रति पौधा के हिसाब से मिट्टी में मिला कर सींचाई करें।
अगर पौधे डेढ़ साल से दो साल के हो तो दो किलो नीम की खली प्रति पौधा के हिसाब से मिट्टी में मिला कर सींचाई करें।
अगर पौधे तीन से चार साल के हो तो चार पांच किलो नीम की खली प्रति पौधा के हिसाब से मिट्टी में मिला कर सींचाई करें
और ड्रिप सिस्टम में घुलनशील नीम का तेल डालकर सींचाई करें।
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