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सामान्य जानकारी ब्राह्मण और भोजन के प्रकार - Blog 89

सामान्य जानकारी ब्राह्मण और भोजन के प्रकार - Blog 89 ब्राह्मण  को डुबोने वाली तीन-* 1-दारु ,  2-दोगङ ,  3-दगा । ब्राह्मण  के लिये जरुरी तीन- 1-सँस्कार ,  2- मेहनत ,  3-भाईचारा ॥ *ब्राह्मण  को प्रिय तीन-* 1-न्याय ,  2-नमन ,  3-आदर । *ब्राह्मण  को अप्रिय तीन-* 1-अपमान,   2- विश्वासघात ,    3-अनादर ॥ *ब्राह्मण  को महान बनाने वाले तीन-* 1-शरणागत रक्षक,    2-दयालूता,    3-परोपकार  । *ब्राह्मण  के लिये अब जरुरी तीन-* 1-एकता ,  2-सँस्कार ,    3-धर्म पालन  ।।      *ब्राह्मण  के लिये छोङने वाली तीन-* 1-बुरी संगत ,  2- कुप्रथाएँ ,   3- आपसी मनमुटाव ॥ *ब्राह्मण  को जोङने वाली तीन-* 1-गौरवशाली इतिहास,    2- परम्पराएँ ,    3-हमारे आदर्श... अगर आप भी ब्राह्मण  है,   तो आगे भेजो। *जय परशुराम  ...हर हर महादेव* *ब्राह्मणो का योगदान -* भारत के क्रान्तिकारियो मे  *90% क्रान्तिकारी ब्राह्मण* थे ।...

A B C D तो सभी को आती होगी पर इतनी अच्छी नहीं आती होगी - Blog 88

A. B. C. D तो सभी को आती होगी पर इतनी अच्छी नहीं आती होगी *A-* अच्छे कर्म करो!   *B-* बुरा मत करो किसी का!        *C*-चोरी मत करो कभी ! *D*-देना सीखो किसी जरूरतमंद  को! *E*-एहसान करो भुखे पर!    *F-* फर्ज.अदा करो माता पिता का!     *G-* गुस्सा मत कऱो लाचार पर!        *H-* हजारों दुआ करो किसीके बुरे वक़्त मे! *I-* ईमानदार बनो सबके प्रति!   *J-* जन्नत भगवान से मांगो सबके लिये!     *K*-किस्मत में जो होगा मिलेगा!         *L-* लालच मत करो कभी ! *M-* मेहनत करो आखिरी दम तक!   *N-* नहीं किसी से कभी मत कहो!     *O-* औरत का हमेशा सम्मान करो!        *P-* प्रणाम करो बड़ों को! *Q-* क्यों करते हो चिंता(मस्त रहो)!    *R-* रोज सुबह जल्दी उठो!      *S-*  शुक्रिया अदा करो उस देनेवाले का !         *T*-टहलने रोज जाओ !                         (मॉर्निंग वॉक) *U...

विभिन्न फसलों में रोगों तथा खरपतवार के नियंत्रण की जानकारी । Disease and Weed management of various Crop - Blog 87

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विभिन्न फसलों में रोगों तथा खरपतवार के नियंत्रण की जानकारी । Disease and Weed management of various Crop - Blog 87 विभिन्न फसलों में रोगों तथा खरपतवार के नियंत्रण की जानकारी । ।। Disease and Weed management of various Crop ।। अधिकांश क्षेत्रों में उर्द, मूँग एवं सोयाबीन की फसल पीला मोजैक (बाबा रोग) की चपेट में है इसके नियंत्रण के लिए- एफिडोपायरोपेन (सेफिना) 400 मिली अथवा पाईमेट्रोजीन (चेस) 120 ग्राम अथवा डिनोटेफ्युरान (ओशीन) 80 ग्राम अथवा फ्लोनिकामिड (उलाला/पनामा) 100 ग्राम प्रति एकड़ की दर से 150 लीटर पानी के साथ प्रभावित फसल पर छिड़काव करें। धान की फसल में संकरी, चौड़ी एवं मोथा कुल के खरपतवारों के नियंत्रण हेतु फिनोक्साप्राप-पी- इथाइल 300 मिली + बेन्टाजोन (बासाग्रान) 800 मिली प्रति एकड़ की दर से 150 लीटर पानी के साथ घोल बनाकर रोपाई के 20 से 25 दिन पर छिड़काव करें अथवा बिसपायरीबैक सोडियम 10 % एससी (नोमिनी गोल्ड) 100 मिली के साथ  मेटसल्फ्युरान मेथाइल + क्लोरीम्युरान इथाइल (पाईमिक्स) 8 ग्राम प्रति एकड़ की दर से 150 लीटर पानी के साथ रोपाई के 12 से 15 दिन पर छिड़काव करें। दवा उपयोग के...

वर्ष भर हरा चारा उत्पादन हेतु नेपियर घास की खेती करें । Green fodder production All year of Napier grass - Blog 86

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वर्ष भर हरा चारा उत्पादन हेतु नेपियर घास की खेती करें । Green fodder production All year of Napier grass - Blog 86 जानिए, क्या होती है नेपियर घास पशुपालकों को हरे चारे की सबसे ज्यादा परेशानी होती है, बरसीम, मक्का, ज्वार जैसी फसलों से तीन-चार महीनों तक ही हरा चारा मिलता है। लेकिन सुपर नेपियर घास इस समस्या को पांच से 10 साल तक के लिए यह समस्या खत्म कर देती है। दरअसल सुपर नेपियर घास  की हाईब्रिड वैरायटी है। जो कि न केवल बंजर जमीन बल्कि खेतों की मेड़ों पर उगाई जा सकती है। केवल सिंचित करने की आवश्यकता है। फरवरि से अक्तुबर सुपर नेपियर घास की रोपाई करने का यही सही समय है। यह घास 20 से 25 दिन में तैयार हो जाती है। सुपर नेपियर घास का उत्पादन प्रति एकड़ लगभग 4000 से 5000 क्विंटल होता है। एक बार घास की कटाई करने के बाद उसकी शाखाएं पुनः फैलने लगती है। रोपण विधि- 60 से 100 सेमी. की दूरी पर 25 से.मी. उँची बनी मेढ़ों पर मेढ़ के दोनो तरफ दो तिहाई ऊॅचाई पर जिग-जैग रूप से संकर नेपियर घास की जड़ों या तने की कटिंग को 60 सेमीं. की दूरी पर लगाकर, आधार पर अच्छी तरह दबा देते हैं. कटिंग को थोड़ा तिरछा करके इस प्...

भारत में उगाई जाने वाली मशरूम की जानकारी । Cultivation of India Mushroom - Blog 85

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भारत में उगाई जाने वाली मशरूम की किस्में : विश्व में खाने योग्य मशरुम की लगभग 10000 प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें से 70 प्रजातियां हीं खेती के लिए उपयुक्त मानी जाती हैं। भारतीय वातावरण में मुख्य रुप से पांच प्रकार के खाद्य मशरुमों की व्यावसायिक स्तर पर खेती की जाती है। जिसका वर्णन निम्नलिखित है। 1. सफेद बटन मशरुम 2. ढींगरी (ऑयस्टर) मशरुम 3. दूधिया मशरुम 4. पैडीस्ट्रा मशरुम 5. शिटाके मशरुम 1. सफेद बटन मशरूम : भारत में सफेद बटन मशरुम की खेती पहले निम्न तापमान वाले स्थानों पर की जाती थी, लेकिन आजकल नई तकनीकियों को अपनाकर इसकी खेती अन्य जगह पर भी की जा रही है। सरकार द्वारा सफेद बटन मशरूम की खेती के प्रचार-प्रसार को भरपूर प्रोत्साहन दिया जा रहा है। भारत में अधिकतर सफेद बटन मशरुम की एस-11, टीएम-79 और होर्स्ट यू-3 उपभेदों की खेती की जाती है। बटन मशरूम के कवक जाल के फैलाव के लिए 22-26 डिग्री सेल्सियस तापमान की आवश्यकता होती है। इस तापमान पर कवक जाल बहुत तेजी से फैलता है। बाद में इसके लिए 14-18 डिग्री सेल्सियस तापमान ही उपयुक्त रहता है। इसको हवादार कमरे, सेड, हट या झोपड़ी में आसानी से उगाया जा...