विभिन्न फसलों में रोगों तथा खरपतवार के नियंत्रण की जानकारी । Disease and Weed management of various Crop - Blog 87
विभिन्न फसलों में रोगों तथा खरपतवार के नियंत्रण की जानकारी ।
Disease and Weed management of various Crop - Blog 87
विभिन्न फसलों में रोगों तथा खरपतवार के नियंत्रण की जानकारी ।
।। Disease and Weed management of various Crop ।।
अधिकांश क्षेत्रों में उर्द, मूँग एवं सोयाबीन की फसल पीला मोजैक (बाबा रोग) की चपेट में है इसके नियंत्रण के लिए- एफिडोपायरोपेन (सेफिना) 400 मिली अथवा पाईमेट्रोजीन (चेस) 120 ग्राम अथवा डिनोटेफ्युरान (ओशीन) 80 ग्राम अथवा फ्लोनिकामिड (उलाला/पनामा) 100 ग्राम प्रति एकड़ की दर से 150 लीटर पानी के साथ प्रभावित फसल पर छिड़काव करें।
धान की फसल में संकरी, चौड़ी एवं मोथा कुल के खरपतवारों के नियंत्रण हेतु फिनोक्साप्राप-पी- इथाइल 300 मिली + बेन्टाजोन (बासाग्रान) 800 मिली प्रति एकड़ की दर से 150 लीटर पानी के साथ घोल बनाकर रोपाई के 20 से 25 दिन पर छिड़काव करें अथवा बिसपायरीबैक सोडियम 10 % एससी (नोमिनी गोल्ड) 100 मिली के साथ मेटसल्फ्युरान मेथाइल + क्लोरीम्युरान इथाइल (पाईमिक्स) 8 ग्राम प्रति एकड़ की दर से 150 लीटर पानी के साथ रोपाई के 12 से 15 दिन पर छिड़काव करें। दवा उपयोग के समय खेत में पर्याप्त नमी का होना आवश्यक है।
धान की फसल में तना छेदक, पत्ती लपेटक एवं दीमक कीट की समस्या आने लगी है इसके नियंत्रण हेतु थायमेथोक्साम + क्लोरेंट्रानिलीप्रोल (वर्टाको) 2.5 किग्रा अथवा क्लोरेंट्रानिलीप्रोल (कास्को) 4 किग्रा अथवा फिप्रोनिल 0.6 जीआर (रीजेण्ट अल्ट्रा) 4 किग्रा प्रति एकड़ की दर से 12 से15 किग्रा रेत अथवा यूरिया में मिलाकर रोपाई के 15 से 25 दिन पर खड़ी फसल में भुरकाव करें। भुरकाव के समय खेत में पर्याप्त नमी का होना आवश्यक है।
तिल की फसल में खरपतवार नियंत्रण हेतु फ्ल्युआजीफाप-पी- ब्युटाइल 13.4 % ई.सी. 400 मिली अथवा प्रोपाक्विजाफाप 10 % ई.सी. 250 मिली अथवा क्विजालोफाप पी इथाइल 10 % ई.सी. 150 मिली प्रति एकड़ की दर से 150 लीटर पानी के साथ बुवाई के 15-20 दिन बाद फ्लैट फैन नोजल (कट नोजल) के साथ प्रयोग करें। छिड़काव के समय खेत में पर्याप्त नमीं होना आवश्यक है।
उर्द एवं मूंग की फसल में खरपतवार नियंत्रण हेतु इमाजेथापर + इमाजामोक्स (ओडिशी) 40 ग्राम प्रति एकड़ अथवा फ्ल्युआजीफाप-पी- ब्युटाइल + फोमेसाफेन (फ्युजीफ्लेक्स) 400 मिली प्रति एकड़ अथवा सोडियम एसीफ्लोरफेन + क्लोडिनाफाप प्रोपेरजिल (पटेला) 400 मिली प्रति एकड़ की दर से 150 लीटर पानी के साथ बुवाई के 15-20 पर छिड़काव करें।
अरहर की फसल में संकरी एवं चौड़ी पत्ती के खरपतवार नियंत्रण हेतु इमाजेथापर 10 % एसएल (परस्यूट) 300 मिली अथवा इमाजेथापर + प्रोपाक्विजाफाप (शाकेद) 800 मिली प्रति एकड़ की दर से 150 लीटर पानी के साथ बुवाई के 20 से 25 दिन पर छिड़काव करें।
खरपतवारों के नियंत्रण की सलाह
तिल की फसल में खरपतवार नियंत्रण हेतु फ्ल्युआजीफाप-पी- ब्युटाइल 13.4 % ई.सी. 400 मिली अथवा प्रोपाक्विजाफाप 10 % ई.सी. 250 मिली अथवा क्विजालोफाप पी इथाइल 10 % ई.सी. 150 मिली प्रति एकड़ की दर से 150 लीटर पानी के साथ बुवाई के 15-20 दिन बाद फ्लैट फैन नोजल (कट नोजल) के साथ प्रयोग करें। छिड़काव के समय खेत में पर्याप्त नमीं होना आवश्यक है।
उड़द एवं मूंग की फसल में खरपतवार नियंत्रण हेतु इमाजेथापर + इमाजामोक्स (ओडिशी) 40 ग्राम प्रति एकड़ अथवा फ्ल्युआजीफाप-पी- ब्युटाइल + फोमेसाफेन (फ्युजीफ्लेक्स) 400 मिली प्रति एकड़ अथवा सोडियम एसीफ्लोरफेन + क्लोडिनाफाप प्रोपेरजिल (पटेला) 400 मिली प्रति एकड़ की दर से 150 लीटर पानी के साथ बुवाई के 15-20 पर छिड़काव करें।
अरहर की फसल में संकरी एवं चौड़ी पत्ती के खरपतवार नियंत्रण हेतु इमाजेथापर 10 % एसएल (परस्यूट) 300 मिली अथवा इमाजेथापर + प्रोपाक्विजाफाप (शाकेद) 800 मिली प्रति एकड़ की दर से 150 लीटर पानी के साथ बुवाई के 20 से 25 दिन पर छिड़काव करें।
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कीटनाशक दवाइयो के उपयोग मे सावधानी बरतें।
1) *कीटनाशक व अन्य दवाई के अच्छे परिणाम के लिए छिड़काव दोपहर में नही करे।*
*तेज धूप में दवाई का असर कम हो जाता है, इसलिए शाम के समय छिड़काव करना उचित रहता है।*
2) *मुंह पर मास्क लगाकर ही कीटनाशक का छिड़काव करें।*
3) *हाथो मे भी ग्ल्ब्स पहनकर कीटनाशक का छिड़काव करना चाहिए।*
4) *हवा के विपरीत दिशा में कीटनाशक का छिड़काव नहीं करें।*
5) *छिड़काव करते समय प्रति बीघा 3 टंकी (15 लीटर वाली) जरूर लगाये।*👌
6) *मौसम साफ देखकर ही छिड़काव करें, यदि आवश्यक हो तो दवाई के साथ (चिपको) स्टिकर मिलाये ताकि दवाई पत्तियों पर पूरी तरह से फेल जाये।*
*जहा तक संभव हो जैविक कीटनाशी का प्रयोग करे जिससे फसल और मृदा स्वास्थ्य, पर विपरीत प्रभाव नही पड़े*
*सोयाबीन के किसानों के लिए समसामायिक सलाह*
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद और भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान द्वारा सितंबर के प्रथम सप्ताह में सोयाबीन के कृषकों के लिए समसामायिक साप्ताहिक सलाह दी गई है। सोयाबीन कृषकों के लिए साप्ताहिक सलाह-विगत सप्ताह में हुई भारी वर्षा के पश्चात विभिन्न क्षेत्रों के कृषकों द्वारा सोयाबीन की फसल में अचानक से पीली पडने एवं सूखने की सूचना प्राप्त हो रही है।
सोयाबीन में इस वर्ष तना मक्खी एव गर्डल बीटल का प्रकोप देखा गया है। सेमीलूपर की दूसरी पीढ़ी की इल्लियों का प्रकोप भी अधिक देखने में आ रहा है जो पत्तियों के साथ-साथ फलियों को भी क्षति पहुंचा रही हैं। वर्षा के पश्चात अनुकूल मौसम के कारण सोयाबीन में एन्थ्रेकनोज एवं राइजोक्टोनिया एरियल ब्लाईट नामक रोगों का संक्रमण बहुत तेजी से फैला है जिसके कारण सोयाबीन के पौधे सूखने लग रहे है।
यह समस्या जल्दी पकने वाली प्रजातियों में ज्यादा देखी जा रही है जो कि परिपक्वता की स्थिति में है। इसके अतिरिक्त जहां भी तना मक्खी की इल्ली ने तने में 25 प्रतिशत से अधिक सुरंग बना ली है और जहां गर्डल बीटल की इल्ली पूर्ण विकसित (लगभग पौन इंच) हो गई है, वहां रसायनों के छिड़काव के पश्चात भी आर्थिक लाभ होने की संभावना कम है। मध्यम एवं देरी से पकने वाली सोयाबीन प्रजातियों में या जहां कीट व रोग प्रारंभिक अवस्था में हैं, इसके लिए कृषि वैज्ञानिकों ने जो उपाय सुझाए हैं उनमें तना मक्खी एवं गर्डल बीटल के नियन्त्रण हेतु कृषकों को सलाह है कि नियंत्रण हेतु बीटासायफ्लुथ्रिन इमिडाक्लोप्रिड 360 मि.ली. प्रति हेक्टेयर या थायमिथ्रोक्सम़लेम्बडा सायहेलोथ्रिन 125 मि.ली. प्रति हेक्टेयर का छिड़काव करें। जहां केबल सेमीलूपर इल्लियों का प्रकोप हो रहा है, वहां लेम्बडा सायहेलोथ्रिन 4.9 एससी. (300 मि.ली.,हेक्टे.) या इन्डोक्साकार्ब 15.8 ई.सी. (333 मिली/हे.) या पलूबेन्डियामाईड 39.36 एससी (150 मिली.हेक्टे) या फ्लूबेन्डियामाईड 20 डब्ल्यू.जी. (275 मि.ली./हेक्टे) का छिड़काव करें।
एन्थ्रेकनोज एवं राइजोक्टोनिया एरियल ब्लाईट नामक रोगों के नियन्त्रण हेतु टेबूकोनाझोल (625 मिली/हे.) अथवा टेबूकोनाझोल़सल्फर (1 कि.ग्रा./हे.) अथवा पायरोक्लोस्ट्रोबीन 20 डब्ल्यू.जी. (500 ग्रा.हे) अथवा हेक्जाकोनाझोल 5 ई.सी. (800 मि.ली.हे.) से छिडकाव करें। सोयाबीन की फसल अब लगभग 70 दिन की और घनी हो चुकी है। अत: रसायनों का अपेक्षित प्रभाव सुनिश्चित करने के लिए 500 ली. पानी प्रति हेक्टे. का प्रयोग अवश्य करें।
कीटनाशकों का छिड़काव कर कीट नियंत्रण करें। सोयाबीन की फसल में विभिन्न कीटों के नियंत्रण हेतु अनुशंसित कीटनाशकों में नीला भृंग कीट के लिए क्विनालफॉस 25 ईसी 1500 मिली हेक्टे., तना मक्खी के लिए थायमिथोक्सम 30 एफएस से बीजोपचार 10 मिली कि.ग्रा. बीज, लेम्बडा सायहेलोथ्रिन 4.9 सीएस 300 मिली.हेक्टे. और पूर्व मिश्रित लेम्बडा सायहेलोथ्रिऩ थायमिथोक्सम 125 मिली.हेक्टे.का छिड़काव करें।
इसके अलावा गर्डल बीटल के लिए थायक्लोप्रिड 21.7 एससी 750 ली./हेक्टे., प्रोफेनोफॉस 50 ईसी 1250 मिली/हेक्टे., ट्रायझोफॉस 40 ईसी 800 मिली/हेक्टे., बीटासायफ्लुथ्रिन 8.49 इमिडाक्लोप्रिड 19.81 ओडी 350 मिली/हेक्टे. तथा पूर्व मिश्रित लैम्बडा सायहेलोथ्रिऩथायमिथोक्सम 125 मिली.हेक्टे. और चने की इल्ली से बचाव हेतु प्रोफेनोफॉस 50 ईसी 1250 मिली/हेक्टे., क्लोरएन्ट्रानिलिप्रोल 18.5 एससी 100 मिली/हेक्टे. तथा इंडोक्साकार्ब 15.8 एससी 333 मिली.हेक्टे. का छिड़काव करें
जय जवान जय किसान
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