गणेश चतुर्थी मुहूर्त 2024, कथा, पूजन विधि की जानकारी | Happy Ganesh Chaturthi 2024 - Blog 163
गणेश चतुर्थी Happy Ganesh Chaturthi 2024गणेश चतुर्थी के इस शुभ अवसर पर, भगवान गणेश आपके जीवन से सभी बाधाओं को दूर करें और आपको बुद्धि और शक्ति का आशीर्वाद दें। बुद्धि और समृद्धि के देवता गणेश आपको एक उज्ज्वल और सफल भविष्य का आशीर्वाद दें। गणेश चतुर्थी की शुभकामनाएँ!
गणेश चतुर्थी मुहूर्त 2024
गणेश चतुर्थी 2024 का पर्व 7 सितंबर 2024 (शनिवार) को मनाया जाएगा। इस दिन के लिए शुभ मुहूर्त निम्नलिखित हैं:
- मध्याह्न गणेश पूजा मुहूर्त: सुबह 11:03 बजे से 1:34 बजे तक (कुल अवधि: 2 घंटे 31 मिनट)।
- चतुर्थी तिथि: यह तिथि 6 सितंबर 2024 को दोपहर 3:01 बजे से शुरू होगी और 7 सितंबर 2024 को शाम 5:37 बजे समाप्त होगी।
- चंद्र दर्शन से बचने का समय: 6 सितंबर को शाम 3:01 बजे से रात 8:16 बजे तक और 7 सितंबर को सुबह 9:30 बजे से रात 8:44 बजे तक चंद्र दर्शन से बचना चाहिए (Drik Panchang)(AstroSage)(Astroyogi Predictions)।
गणेश चतुर्थी का समापन 17 सितंबर 2024 को गणेश विसर्जन के साथ होगा।
गणेश चतुर्थी की पूजन विधि
गणेश चतुर्थी की पूजा विधि को विधिपूर्वक करना अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह पूजा आमतौर पर मध्याह्न काल में की जाती है क्योंकि यह समय भगवान गणेश के जन्म का माना जाता है। यहाँ पर गणेश चतुर्थी की पूजा विधि के मुख्य चरण दिए गए हैं:
पूजन विधि:1. स्नान और स्वच्छता: पूजा शुरू करने से पहले स्नान कर लें और पूजा स्थल को शुद्ध करें। साफ वस्त्र धारण करें।2. गणेश प्रतिमा की स्थापना: भगवान गणेश की मूर्ति को उत्तर-पूर्व दिशा में या पूजा स्थल पर स्थापित करें। मूर्ति स्थापना से पहले चौकी (पीढ़ा) पर लाल कपड़ा बिछाएं और मूर्ति को उस पर रखें।3. संकल्प: पूजा की शुरुआत संकल्प से करें, जिसमें आप भगवान गणेश से पूजा की स्वीकृति के लिए प्रार्थना करते हैं और अपने कार्य की सफलता की कामना करते हैं।4. गणेशजी का आह्वान: गणेश जी को आमंत्रित करने के लिए मंत्रों का जाप करें और उनकी मूर्ति पर जल और गंगाजल छिड़कें।5. षोडशोपचार पूजन (16 विधि से पूजा): - आसन: भगवान गणेश को आसन अर्पित करें। - पाद्य: उनके चरणों को धोने के लिए जल अर्पित करें। - अर्घ्य: उन्हें स्नान के लिए जल चढ़ाएं। - आचमन: गणेश जी को पीने के लिए जल दें। - स्नान: गंगाजल, दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से स्नान कराएं। - वस्त्र और आभूषण: उन्हें वस्त्र, पुष्प और आभूषण अर्पित करें। - सुगंधित धूप और दीप: धूप और दीप जलाकर भगवान गणेश की आरती करें। - नैवेद्य: भगवान गणेश को उनके प्रिय मोदक, लड्डू, फल, और अन्य मिठाइयों का भोग लगाएं। - पुष्पांजलि: गणेश जी को फूलों की माला पहनाएं और फूल चढ़ाएं। - आरती: गणेश जी की आरती गाकर समर्पण करें।
6. प्रसाद वितरण: पूजा समाप्त होने के बाद, सभी भक्तों में प्रसाद वितरित करें।7. विसर्जन: कुछ लोग प्रतिमा स्थापना के एक या डेढ़ दिन बाद विसर्जन करते हैं, जबकि कुछ लोग 5, 7, या 10 दिन बाद विसर्जन करते हैं।
महत्वपूर्ण बातें:- पूजा में तुलसी का प्रयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि यह गणेश जी को प्रिय नहीं है।- गणेश चतुर्थी के दिन चंद्र दर्शन से बचें, इससे मिथ्या दोष (झूठा आरोप) लगने की आशंका रहती है
पूजा की सही विधि और मंत्रों का उपयोग आपके क्षेत्र और परंपरा के अनुसार भिन्न हो सकता है।
गणेश चतुर्थी 2024 का पर्व 7 सितंबर 2024 (शनिवार) को मनाया जाएगा। इस दिन के लिए शुभ मुहूर्त निम्नलिखित हैं:
- मध्याह्न गणेश पूजा मुहूर्त: सुबह 11:03 बजे से 1:34 बजे तक (कुल अवधि: 2 घंटे 31 मिनट)।
- चतुर्थी तिथि: यह तिथि 6 सितंबर 2024 को दोपहर 3:01 बजे से शुरू होगी और 7 सितंबर 2024 को शाम 5:37 बजे समाप्त होगी।
- चंद्र दर्शन से बचने का समय: 6 सितंबर को शाम 3:01 बजे से रात 8:16 बजे तक और 7 सितंबर को सुबह 9:30 बजे से रात 8:44 बजे तक चंद्र दर्शन से बचना चाहिए (Drik Panchang)(AstroSage)(Astroyogi Predictions)।
गणेश चतुर्थी का समापन 17 सितंबर 2024 को गणेश विसर्जन के साथ होगा।
गणेश चतुर्थी की पूजा विधि को विधिपूर्वक करना अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह पूजा आमतौर पर मध्याह्न काल में की जाती है क्योंकि यह समय भगवान गणेश के जन्म का माना जाता है। यहाँ पर गणेश चतुर्थी की पूजा विधि के मुख्य चरण दिए गए हैं:
पूजन विधि:
1. स्नान और स्वच्छता: पूजा शुरू करने से पहले स्नान कर लें और पूजा स्थल को शुद्ध करें। साफ वस्त्र धारण करें।
2. गणेश प्रतिमा की स्थापना: भगवान गणेश की मूर्ति को उत्तर-पूर्व दिशा में या पूजा स्थल पर स्थापित करें। मूर्ति स्थापना से पहले चौकी (पीढ़ा) पर लाल कपड़ा बिछाएं और मूर्ति को उस पर रखें।
3. संकल्प: पूजा की शुरुआत संकल्प से करें, जिसमें आप भगवान गणेश से पूजा की स्वीकृति के लिए प्रार्थना करते हैं और अपने कार्य की सफलता की कामना करते हैं।
4. गणेशजी का आह्वान: गणेश जी को आमंत्रित करने के लिए मंत्रों का जाप करें और उनकी मूर्ति पर जल और गंगाजल छिड़कें।
5. षोडशोपचार पूजन (16 विधि से पूजा):
- आसन: भगवान गणेश को आसन अर्पित करें।
- पाद्य: उनके चरणों को धोने के लिए जल अर्पित करें।
- अर्घ्य: उन्हें स्नान के लिए जल चढ़ाएं।
- आचमन: गणेश जी को पीने के लिए जल दें।
- स्नान: गंगाजल, दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से स्नान कराएं।
- वस्त्र और आभूषण: उन्हें वस्त्र, पुष्प और आभूषण अर्पित करें।
- सुगंधित धूप और दीप: धूप और दीप जलाकर भगवान गणेश की आरती करें।
- नैवेद्य: भगवान गणेश को उनके प्रिय मोदक, लड्डू, फल, और अन्य मिठाइयों का भोग लगाएं।
- पुष्पांजलि: गणेश जी को फूलों की माला पहनाएं और फूल चढ़ाएं।
- आरती: गणेश जी की आरती गाकर समर्पण करें।
6. प्रसाद वितरण: पूजा समाप्त होने के बाद, सभी भक्तों में प्रसाद वितरित करें।
7. विसर्जन: कुछ लोग प्रतिमा स्थापना के एक या डेढ़ दिन बाद विसर्जन करते हैं, जबकि कुछ लोग 5, 7, या 10 दिन बाद विसर्जन करते हैं।
महत्वपूर्ण बातें:
- पूजा में तुलसी का प्रयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि यह गणेश जी को प्रिय नहीं है।
- गणेश चतुर्थी के दिन चंद्र दर्शन से बचें, इससे मिथ्या दोष (झूठा आरोप) लगने की आशंका रहती है
पूजा की सही विधि और मंत्रों का उपयोग आपके क्षेत्र और परंपरा के अनुसार भिन्न हो सकता है।
1. भगवान गणेश का महत्व : भगवान गणेश को बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य के देवता माना जाता है। वे विघ्नहर्ता (विघ्नों को दूर करने वाले) और शुभारंभ के देवता के रूप में पूजे जाते हैं। कोई भी नया कार्य या पूजा गणेश वंदना के साथ शुरू की जाती है।
2. गणेश चतुर्थी का पर्व : यह पर्व भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को आता है, जो आमतौर पर अगस्त या सितंबर में पड़ता है। इस दिन भगवान गणेश की मूर्ति को घरों और पंडालों में स्थापित किया जाता है और उन्हें विधिपूर्वक पूजा जाता है।
3. पूजा और अनुष्ठान- स्थापना: गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की मूर्ति को घर या सार्वजनिक स्थलों पर पंडालों में स्थापित किया जाता है।
- पूजन विधि: गणेश की पूजा में 16 प्रमुख विधियों (षोडशोपचार) का पालन किया जाता है। इनमें गणेश जी को स्नान, वस्त्र, माला, और प्रसाद अर्पित किया जाता है।
- प्रसाद: भगवान गणेश को मोदक का प्रसाद विशेष रूप से प्रिय है, इसलिए भक्त उन्हें मोदक का भोग अर्पित करते हैं।
1. भगवान गणेश का महत्व : भगवान गणेश को बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य के देवता माना जाता है। वे विघ्नहर्ता (विघ्नों को दूर करने वाले) और शुभारंभ के देवता के रूप में पूजे जाते हैं। कोई भी नया कार्य या पूजा गणेश वंदना के साथ शुरू की जाती है।
2. गणेश चतुर्थी का पर्व : यह पर्व भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को आता है, जो आमतौर पर अगस्त या सितंबर में पड़ता है। इस दिन भगवान गणेश की मूर्ति को घरों और पंडालों में स्थापित किया जाता है और उन्हें विधिपूर्वक पूजा जाता है।
3. पूजा और अनुष्ठान
- स्थापना: गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की मूर्ति को घर या सार्वजनिक स्थलों पर पंडालों में स्थापित किया जाता है।
- पूजन विधि: गणेश की पूजा में 16 प्रमुख विधियों (षोडशोपचार) का पालन किया जाता है। इनमें गणेश जी को स्नान, वस्त्र, माला, और प्रसाद अर्पित किया जाता है।
- प्रसाद: भगवान गणेश को मोदक का प्रसाद विशेष रूप से प्रिय है, इसलिए भक्त उन्हें मोदक का भोग अर्पित करते हैं।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें
Thanks for Comment....