बीमा कंपनियों का इतिहास | History of Insurance Company - Blog 125
बीमा कंपनियों का इतिहास | History of Insurance Company - Blog 125
बीमा कंपनियों का इतिहास काफी लंबा और विविध है। 16वीं शताब्दी में इंग्लैंड में समुद्री बीमा की शुरुआत हुई, और 18वीं शताब्दी में जीवन बीमा की शुरुआत हुई। 19वीं शताब्दी में, जर्मनी और अन्य यूरोपीय देशों ने विभिन्न जोखिमों के खिलाफ राष्ट्रीय बीमा कार्यक्रम शुरू किए। 20वीं शताब्दी में, कई देशों में बीमा उद्योग का विस्तार हुआ, और बीमा को वित्तीय सुरक्षा के महत्वपूर्ण साधन के रूप में मान्यता मिली। भारत में, बीमा का इतिहास ब्रिटिश शासन के दौरान शुरू हुआ, और बाद में जीवन बीमा का राष्ट्रीयकरण किया गया। वर्तमान में, भारत में निजी और सार्वजनिक दोनों प्रकार के बीमा कंपनियां हैं।
- पहली जीवन बीमा कंपनी - ओरिएंटल लाइफ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड
- पहली गैर - जीवन बीमा कंपनी - ट्राइटन इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड
- पहली भारतीय बीमा कंपनी - 1870 में मुंबई में स्थापित बॉम्बे म्युचुअल एश्योरेंस सोसायटी लिमिटेड
- जीवन बीमा का राष्ट्रीयकरण - 1 सितंबर 1956 में भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) का गठन किया गया।
- गैर - जीवन बीमा का राष्ट्रीयकरण - 1972 में साधारण बीमा व्यवसाय राष्ट्रीयकरण अधिनियम (जीआईबीएनए) के लागू होने के साथ गैर - जीवन बीमा व्यवसाय का भी राष्ट्रीयकरण क्र दिया गया और भारतीय साधारण बीमा निगम (जीआईसी) और उसकी चार सहायक कंपनियों की स्थापना की गयी।
- मल्होत्रा समिति और आईआरडीए - बीमा नियामक एवं विकास अधिनियम 1999 (आईआरडीए) के पारित होने से जीवन बीमा उद्योग दोनों के लिए एक सांविधिक नियामक संस्था के रूप में अप्रैल 2000 में बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (आईआरडीए) के हुआ।
- बीमा - बीमा नुकसानों का सामना करने वाले कुछ दुर्भाग्यपूर्ण लोगों के नुकसानों को इसी तरह की अनिश्चित घटनाओं / परिस्थितियों के दायरे में आने वाले लोगों के बीच भागीदारी के रूप में परिभाषित किया जा सकता है।
- कोई परिसंपत्ति - प्रत्यक्ष भौतिक रूप में [जैसे कि कार या भवन] हो सकती है - अप्रत्यक्ष अभौतिक रुप में [जैसे कि नाम और सुद्धावना] हो सकती है - व्यक्तिगत हो सकती है [जैसे कि किसी की आख, हाथ - पैर और शरीर के अन्य अंग] ।
- संपत्ति अपना मूल्य खो सकती है। - कोई निश्चित घटना घटित होने पर , नुकसान की इस सभावना को 'जोखिम ' कहा जाता है। - जोखिम की घटना के कारण को 'आपदा' के रूप में जाना जाता है।
- पुलिंग सिद्धांत - कई लोगों से प्रीमियम एकत्रित करना है। - लोगों के पास एक ही तरह की परिसंपत्तियां होती हैं जो समान जोखिमों के दायरे में आती हैं।
- क्षतिपूर्ति - फड के इस पल का उपयोग कुछ ऐसे लोगों की क्षतिपूर्ति में किया जाता है जिनको किसी 'आपदा' के कारण होने वाले निकसानों का सामना करना पड़ सकता है।
- बीमाकर्ता - फड़ की पुलिंग प्रक्रिया और कुछ दुर्भाग्यशाली लोगों की क्षतिपूर्ति करने का कार्य बीमाकर्ता करता है।
- बीमा अनुबंध - बीमाकर्ता और बीमाधारक के साथ एक अनुबंध (बीमा की योजना में भागीदारी करने के लिए इच्छुक प्रत्येक व्यक्ति)
- जोखिम से बचाव - नुकसान की स्थिति से बचने के लिए जोखिम को नियंत्रित करना - नकारात्मक तरीकों से जोखिमों से निपटना।
- जोखिम प्रतिधारण - कई व्यक्ति, जोखिम के प्रभाव को प्रबंधित करने और जोखिम तथा उसके प्रभावों को सहन करने का निर्णय ले सकता है। - इसे स्वयं -बीमा के रूप में जाना जाता है।
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