मोटे अनाज दिवस | अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष | अंतरराष्ट्रीय बाजरा-ज्वार दिवस | राष्ट्रीय मोटे अनाज दिवस | राष्ट्रीय ज्वार बाजरा (millets) दिवस - Blog 113
दुनिया में मोटे अनाजों का
सबसे बड़ा उत्पादक है। देश के विभिन्न
राज्यों में लोगों के मेनू में मोटे अनाजों को राष्ट्रीय मोटे अनाज दिवस : मोटे
अनाजों को प्रोत्साहन
भारत लाने के लिये कई कार्यक्रम आयोजित किये जाएंगे।
मोटे अनाज को लोकप्रिय बनाने का नेतृत्व करना भारत के लिए सम्मान की बात : मोदी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि मोटे
अनाजों को लोकप्रिय बनाने के मामले में दुनिया का नेतृत्व करना भारत के लिए सम्मान
की बात है। उन्होंने कहा कि इसके उपयोग से न सिर्फ पोषण बल्कि खाद्य सुरक्षा और
किसानों के कल्याण को भी बल मिलता है। यह कृषि वैज्ञानिकों और स्टार्ट-अप समुदाय
के लिए शोध और नवोन्मेष के द्वार भी खोलता है।’’
प्रधानमंत्री की यह टिप्पणी संयुक्त राष्ट्र
महासभा द्वारा भारत की ओर से पेश एक प्रस्ताव को सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिए
जाने के संदर्भ में आया, संयुक्त
राष्ट्र के सभी प्रतिनिधियों को नाश्ता के रूप में प्रसिद्ध मुरुक्कू पेश किया
गया। उन्होंने कहा, ‘‘यह ऐसा अल्पाहार जिसे मैं भी बहुत पसंद
करता हूं और आप सभी से आग्रह करता हूं कि इसे एक बार जरूर आजमाएं।’’ मोटे अनाजों
में ज्वार, बाजरा और रागी आते हैं और इन्हें पौष्टिक अनाज
माना जाता है।
जिसके तहत 2023 को ‘अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष’ घोषित किया गया है। इस प्रस्ताव का 70 से अधिक देशों ने समर्थन किया। मोटे अनाज वर्ष को ‘अंतरराष्ट्रीय बाजरा-ज्वार’ दिवस के रूप में भी जाना जाता है।
प्रमुख बिंदु
सरकार पोषण सुरक्षा हासिल करने के लिये
मिशन स्तर पर रागी और ज्वार जैसे मोटे अनाजों की खेती को प्रोत्साहित कर रही है।
बाजरा, जिसे कि पोषक अनाज कहा
जाता है, को समर्थन मूल्य पर खरीदा जा रहा है और इसे
मध्यान्ह भोजन योजना और सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के
तहत शामिल किया जा रहा है।
पोषण सुरक्षा प्राप्त करने के लिये बाजरे
की खेती को बढ़ावा देने के प्रयास किये जा रहे हैं क्योंकि 2016-17 के फसल वर्ष में
खेती का रकबा घटकर 1 करोड़ 47.2 लाख हेक्टेयर रह गया है जो वर्ष 1965-
66 में 3 करोड़ 69 लाख
हेक्टेयर था।
बाजरा फसलों का रकबा बढ़ाने के उद्देश्य से
वर्षा सिंचित क्षेत्रों में उगाई जाने वाली फसलों को बढ़ावा देने के लिये
पंचवर्षीय योजना के तहत मोटे अनाजों के उपभोग की मांग बढ़ाने के प्रयास किये जा रहे
हैं।
कार्यक्रम के तहत बाजरा के पोषण और
स्वास्थ्य लाभों पर ग्रामीण और शहरी लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाने का भी प्रयास
किया जा रहा है।
राष्ट्रीय मोटे अनाज दिवस
केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह
द्वारा औपचारिक रूप से मोटे अनाजों के राष्ट्रीय वर्ष का उद्घाटन करने के पश्चात्
इसे 28 सितंबर को पुणे में उत्सव
के रूप में शुरू किया जाएगा ।
16 नवंबर को राष्ट्रीय ज्वार
बाजरा (millets) दिवस के रूप में मनाने का फैसला लिया गया
है।
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मिलेट रिसर्च (IIMR) ने हाल ही में एक
राष्ट्रीय बैठक का आयोजन किया है जहाँ सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों के हितधारकों
ने मोटे अनाजों के राष्ट्रीय वर्ष के संचालन के लिये रोडमैप पर चर्चा की और इसे
अंतिम रूप दिया।
मोटे अनाजों के मूल्यवर्द्धित उत्पादों की
मांग 2-3 गुना बढ़ाए जाने की
आवश्यकता है। हमें मिलेट्स उत्पादों के लिये एक सतत् ब्रांड बनाने की ज़रूरत है।
राष्ट्रीय मिशन मिलेट्स परिवार की सभी
फसलों का उत्पादन दोगुना अर्थात् 31.74 मिलियन टन करने का लक्ष्य रखता है।
पुणे में इसकी शुरुआत के बाद राष्ट्रीय
मीडिया और सोशल मीडिया पर अभियान चलाए जाएंगे। प्रचार गतिविधियों को लोकप्रिय
बनाने के लिये ब्रांड एंबेसडरों को शामिल किया जाएगा।
मोटे अनाजों का महत्त्व
दानों के आकार के आधार पर मोटे अनाजों को
दो भागों में बाँटा गया है। पहला मोटा अनाज जिनमें ज्वार और बाजरा आते हैं। दूसरा, लघु अनाज जिनमें बहुत छोटे
दाने वाले मोटे अनाज जैसे रागी, कंगनी, कोदो, चीना, सांवा और कुटकी
आदि आते हैं।
मोटे अनाजों की खेती करने के अनेक लाभ हैं
जैसे सूखा सहन करने की क्षमता, फसल पकने की कम अवधि, उर्वरकों, खादों की न्यूनतम मांग के कारण कम लागत, कीटों से
लड़ने की रोग प्रतिरोधक क्षमता।
कम पानी और बंजर भूमि तथा विपरीत मौसम में भी ये अनाज उगाए जा सकते हैं।
सल्हार, कांग, ज्वार, मक्का, मडिया, कुटकी, सांवा, कोदो आदि में
अगर प्रोटीन, वसा, खनिज तत्त्व,
फाइबर, कार्बोहाइड्रेट, ऊर्जा
कैलोरी, कैल्शियम, फास्फोरस, आयरन, कैरोटीन, फोलिक ऐसिड,
जिंक तथा एमिनो एसिड की तुलना गेहूँ, चावल
जैसे अनाजों के साथ की जाए तो किसी भी प्रकार से इन्हें कम नहीं आँका जा सकता।
भारत के राजपत्र 13 अप्रैल, 2018 के अनुसार, मिलेट (ज्वार, बाजरा,
रागी आदि) में देश की पोषण संबंधी सुरक्षा में योगदान देने की बहुत
अधिक क्षमता है।
इस प्रकार मोटे अनाजों में न केवल पोषक तत्त्वों का भंडार है बल्कि ये जलवायु लचीलेपन वाली फसलें भी हैं और इनमें अद्भुत पोषण संबंधी विशेषताएँ भी हैं।
मोटे अनाज के उत्पादन में प्रथम राज्य कौन सा है? कर्नाटक मोटे अनाजों का प्रमुख उत्पादक है। मोटे अनाज का उपयोग भोजन, चारा, ईंधन आदि में किया जाता है।
मोटे अनाज कौन सी फसल है? मोटे अनाज के तौर पर ज्वार,
बाजरा, रागी (मडुआ), जौ,
कोदो, सामा, बाजरा,
सांवा, लघु धान्य या कुटकी, कांगनी और चीना जैसे अनाज शामिल है। इसे मोटा अनाज इसलिए कहा जाता है
क्योंकि इनके उत्पादन में ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ती। ये अनाज कम पानी और कम
उपजाऊ भूमि में भी उग जाते हैं।
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