विश्व मिट्टी दिवस की जानकारी | Information About of World Soil Day - Blog 94
किसान भाइयों, आज 5 दिसम्बर को विश्व मृदा स्वास्थ्य दिवस है| आइए हम संकल्प ले कि अपने खेतों की मिट्टी को उपजाऊ व स्वस्थ बनाए रखने के लिए जैविक खाद एवं उर्वरकों का प्रयोग करेंगे, रासायनिक उर्वरक एवं कीटनाशकों का प्रयोग कम से कम करेंगे, हर 3 साल में खेत की गहरी जुताई व मिट्टी परीक्षण के बाद संतुलित उर्वरकों का प्रयोग करेंगे| इस अवसर पर आपको सलाह दी जाती है कि खेत में फसल अवशेष या नरवाई को कदापि ना जलाएं अपितु उसका प्रयोग खेत में सड़ाकर खेत की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने में करें| जी हां! “स्वस्थ धरा-खेत हरा” इसी भावना के साथ प्रकृति व पर्यावरण को स्वच्छ बनाने का संकल्प लें|
विश्व मिट्टी दिवस की संयुक्त राष्ट्र द्वारा हर वर्ष 5 दसंबर को मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का उदेश्य किसानो और आम लोगों को मिट्टी की महत्ता के बारे में जागरूक करना है। विश्व के बहुत से भागों में उपजाऊ मिट्टी बंजर और किसानो द्वारा ज्यादा रसायनिक खादों और कीड़ेमार दवाईओं का इस्तेमाल करने से मिट्टी के जैविक गुणों में कमी आने के कारण इसकी उपजाऊ क्षमता में गिरावट आ रही है और यह प्रदूशंन का भी शिकार हो रही है।इस लिए किसानो और आम जनता को इसकी सुरक्षा के लिए जागरूक करने की जरूरत है। 20 दसंबर 2013 को प्रति वर्ष 5 दसंबर को विश्व मिट्टी दिवस, (IYS 19 feb. 2015) मनाने का फैसला लिया गया था।
5 दिसंबर, 2017 को संपूर्ण विश्व में ‘विश्व मृदा दिवस’ (World Soil Day) मनाया गया। वर्ष 2017 में इस दिवस का मुख्य विषय (Theme)- “Caring for the Planet Starts From The Ground” (ग्रह की देख-भाल भूमि से शुरू होती है) था। इस अवसर पर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों से मिट्टी के नियमित परीक्षण हेतु ‘स्वस्थ धरा, खेत हरा’ के माध्यम से आह्वान किया। वर्तमान में विश्व की संपूर्ण मृदा का 33 प्रतिशत पहले से ही बंजर या निम्नीकृत (Degraded) हो चुका है। उल्लेखनीय हैं कि हमारे भोजन का 95 प्रतिशत भाग मृदा से ही आता है। वर्तमान में 815 मिलियन लोगों का भोजन असुरक्षित है और 2 अरब लोग पोषक रूप से असुरक्षित हैं, लेकिन हम इसे मृदा के माध्यम से कम कर सकते हैं। इस दिवस का उद्देश्य मृदा स्वास्थ्य के प्रति तथा जीवन में मृदा के योगदान के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाना है। 20 दिसंबर, 2013 को संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन ने 5 दिसंबर को प्रतिवर्ष ‘विश्व मृदा दिवस’ मनाने की पेशकश की थी जिसे संयुक्त राष्ट्र के द्वारा अपनाया गया । संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इसी संकल्प के माध्यम से वर्ष 2015 को ‘अंतरराष्ट्रीय मृदा वर्ष’ यानि World Soil Day के रूप में मनाने की घोषणा की थी। और
विश्व मृदा दिवस 2020 की थीम पर्यावरण प्रेमियों से संबंधित. इस वर्ष का अभियान है "मिट्टी को जीवित रखना, मिट्टी की जैव विविधता की रक्षा करना"
मृदा परिक्षण के सम्बन्ध में मृदा परिक्षण करने से संतुलित मात्र में खाद का उपयोग किया जा सकता है जब तक कृषक अपने खेतो की मिट्टी की जाँच नहीं कराता कैसे अपने खेत की उर्वरक क्षमता की जानकारी नहीं हो पायेगी मिट्टी की जाँच करने से जैव उर्वरक के बारे में भी जानकारी हो जाती है|
कृषको को सलाह दी जाती है की फसलो में खाद एवं उर्वरक का उपयोग करने से पूर्व अपने खेत की मिट्टी का परिक्षण कराकर परिक्षण परिणाम यथा मृदा स्वास्थ्य पत्रक में दी गयी उर्वरक अनुशंसा का प्रयोग करे| फसलो में उर्वरको का प्रयोग एकीकृत पोषक तत्त्व प्रबंधन के आधार पर संतुलित रूप से करे| रासायनिक उर्वरको के साथ जैविक खाद यथा गोबर खाद, केचुआ खाद, हरी खाद इत्यादि का भी प्रयोग करे|
मृदा परिक्षण का महत्व - मिट्टी में पोषक तत्वों की मात्रा ज्ञात हो जाती है, मिट्टी की उपजाऊ शक्ति के अनुसार खादों एवं उर्वरको की सही अनुशंसा के लिए, खेत की उपजाऊ शक्ति व मृदा स्वास्थ्य को बनाये रखने में सहायक,
समस्या ग्रस्त मृदाओ में सुधार हेतु|
मृदा स्वास्थ्य को बनाये रखने के उपाय- मृदा परिक्षण के आधार पर पोषक तत्वों का संतुलित मात्रा में फसल की आवश्यकता अनुसार उपयोग, समन्वित पोषक तत्व प्रबंधन द्वारा उर्वरको के साथ साथ जैविक खादों एवं जैव कल्चर का उपयोग, मृदा एवं जल संरक्षण, उचित फसल चक्र अपनाना, जैव उर्वरक के उपयोग को बढ़ावा
देना, जैविक खाद उत्पादन को बढावा देना आदि|
मृदा परीक्षण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा पौध पोषक तत्वों जैसे फास्फोरस, पोटेशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम, सल्फर, मैंगनीज, काँपर, जस्ता इत्यादि को भूमि से घोल के रूप में निकालकर पौधों के लिए उनकी उपलब्धता का आंकलन किया जाता है। भूमि में इन तत्वों की उपलब्ध मात्रा के आधार पर फसलों के लिए उर्वरकों की मात्रा की अनुशंसा की जाती है। मृदा परीक्षण द्वारा भूमि में जैविक कार्बन की मात्रा व मृदा अभिक्रिया का भी आंकलन किया जाता है। मृदा परिक्षण से यह भी पता लग जाता है कि मृदा के लिए चूना या जिप्सम देने की आवश्यकता है या नहीं।
मिट्टी निर्माण खनिज पदार्थ, कार्बनिक पदार्थ और हवा एवं पानी के विभिन्न अनुपातो से होता है| यह जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है इसमें पौधो का विकास होता है और अन्य कई जीवो के रहने की जगह होती है|
सभी कृषको को सूचित किया जाता है कि अपने-अपने खेत कि मिट्टी का परीक्षण बोनी से पहले अवश्य कराये । मृदा परीक्षण कराने से हमें अपने खेत कि उपज क्षमता, खाद कि सही मात्रा आदि कि सही जानकारी मिलती है। फसलों में उर्वरको का प्रयोग पोषक तत्व प्रबंधन के आधार पर संतुलित रूप में करें। रासायनिक उर्वरको के साथ
जैविक खाद जैसे गोबर खाद, केचुआ खाद, हरी खाद इत्यादि का भी प्रयोग करें।
विश्व मृदा दिवस हर वर्ष संयुक्त राष्ट्र द्वारा 5 दिसंबर को मनाया जाता है इस दिवस को मनाने का उद्देश्य किसानों को मिट्टी की महत्वता के बारे में जागरूक करना है 5 दिसंबर को विश्व मृदा दिवस का विषय है- मिट्टी को जीवित रखें मिट्टी की जैव विविधता की रक्षा करें।जिस तरह रासायनिक उर्वरक एवं कीटनाशक का गलत उपयोग में खेतों का व्यवहार किया जाता है उसी का परिणाम हमारी मिट्टी का रासायनिक भौतिक एवं जैवि क स्वास्थ्य में गिरावट होती जा रही है जिसके परिणाम स्वरुप फसल का उत्पादन एवं उत्पादकता पर बुरा प्रभाव पड़ रहा हैं हम सभी को मृदा को बचाते हुए मृदा में जैविक संतुलित मात्रा में खादों का उपयोग करना चाहिए, मृदा स्वास्थ्य कार्ड के अनुसार खेती करनी चाहिए जैविक एवं जीवाणु खादों का प्रयोग बढ़ाना चाहिए , जैविक खेती का उपयोग एवं फसल चक्र को अपनाना चाहिए जिससे कि मृदा की तीन अवस्थाओं भौतिक, जैविक एवं रसायनिक में सुधार हो।
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