जीएम तकनीक क्या है| इसके लाभ & नुकसान | What is Genetically Modified (GM) Crops - Blog 82


Genetically Modified (GM)

जीएम तकनीक क्या है?
जीएम यानि जेनेटिक मॉडिफाई, इस तकनीक में टिश्यू कल्चरम्युटेशन यानी उत्परिवर्तन और नए सूक्ष्मजीवों की मदद से पौधों में नए जीनों का प्रवेश कराया जाता है। इस तरह वांछित जीन से सावधानीपूर्वक प्रतिस्थापित किया जाता हैजो कीट प्रतिरोधक और अधिक उपज वाले पौधे होता है। इस प्रक्रिया में पौधे में नए जीन यानी डीएनए को डालकर उसमें ऐसे मनचाहे गुणों का समावेश किया जाता है जो प्राकृतिक रूप से उस पौधे में नहीं होते। जीनांतरित फसलों से उत्पादन क्षमता और पोषक क्षमता को बढ़ाया जा सकता है।

जीएम फसल क्या है?
जीएम फसल उन फसलों को कहा जाता है जिनके जीन को वैज्ञानिक तरीके से रूपांतरित किया जाता है। जेनेटिक इजीनियरिंग के ज़रिये किसी भी जीव या पौधे के जीन को अन्य पौधों में डालकर एक नई फसल प्रजाति विकसित की जाती है। जीएम फसलों के जीन में बायो-टेक्नोलॉजी और बायो-इंजीनियरिंग के द्वारा परिवर्तन किया जाता है।
उदाहरण- 1982 में तंबाकू के पौधे में इसका पहला प्रयोग किया गया थाजबकि फ्राँस और अमेरिका में 1986 में पहली बार इसका फील्ड परीक्षण किया गया था।

जीएम बीजों के लाभ :
1. जीएम बीज यानी कृत्रिम तरीके से बनाया गया फसल बीज। जीएम फसलों के समर्थक मानते हैं कि यह बीज साधारण बीज से कहीं अधिक उत्पादकता प्रदान करता है।
2. इससे कृषि क्षेत्र की कई समस्याएँ दूर हो जाएंगी और फसल उत्पादन का स्तर सुधरेगा।
3. जीएम फसलें सूखा-रोधी और बाढ़-रोधी होने के साथ कीट प्रतिरोधी भी होती हैं।
4. जीएम फसलों की यह विशेषता होती है कि अधिक उर्वर होने के साथ ही इनमें अधिक कीटनाशकों की जरूरत नहीं होती।

जीएम बीजों के नुकसान :
1. जीएम फसलों की लागत अधिक पड़ती हैक्योंकि इसके लिये हर बार नया बीज खरीदना पड़ता है।
2. बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियों के एकाधिकार के कारण किसानों को महँगे बीज और कीटनाशक उनसे खरीदने पड़ते हैं।
इस समय हाइब्रिड बीजों पर ज़ोर दिया जा रहा है और अधिकांश हाइब्रिड बीजचाहे जीएम हों अथवा नहींया तो दोबारा इस्तेमाल लायक नहीं होते और अगर होते भी हैं तो पहली बार के बाद उनका प्रदर्शन बहुत अच्छा नहीं होता।
3. इसे स्वास्थ्यपर्यावरण तथा जैव विविधता के लिये हानिकारक माना जाता है।
4. भारत में इस प्रौद्योगिकी का विरोध करने वालों का कहना है कि हमारे देश में कृषि में इतनी जैव-विविधता हैजो जीएम प्रौद्योगिकी को अपनाने से खत्म हो जाएगी।
5. जीएम खाद्य का मनुष्य के स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ सकता है। एक तो उसे खाने सेदूसरा उन पशुओं के दूध और माँस के ज़रिये जो जीएम चारे पर पले हों।
6. भारत में केवल बीटी कॉटन की फसल लेने की अनुमति है। देश के कपास उत्पादक किसानों पर क्या प्रभाव पड़ाइसको लेकर संसद की कृषि मामलों की स्थायी समिति ने पिछले वर्ष अपनी  ‘कल्टीवेशन ऑफ जेनेटिक मोडिफाइड फूड क्रॉप-संभावना और प्रभाव’नामक 37वीं रिपोर्ट में बताया था कि बीटी कपास की व्यावसायिक खेती करने से कपास उत्पादक किसानों की आर्थिक हालत सुधरने के बजाय बिगड़ गई। बीटी कपास में कीटनाशकों का अधिक प्रयोग करना पड़ा।
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