Light Trap for Agricultural Insects Pests | सोलर ट्रैप – Blog 62
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सोलर ट्रैप :-
कीटो से मुक्ति और केमिकल का खर्चा हुआ कम
सोलर ट्रैप, कीटाणुओं से मुक्ति और केमिकल का खर्चा हुआ कम।
सोलर लैंप में हजारों किट लैंप की रोशनी में इकट्ठा होने शुरू हो जाते हैं और उसके नीचे रखे तेल (केरोसीन) के पानी में गिर-गिर कर मर जाते हैं। सोलर ट्रैप जिससे खेत में फसल को नुकसान पहुंचाने वाले किट मर जाते हैं।
फसल को किट से बचाने के लिए उस पर दवाई छिडकनी पड़ती है, जिससे फसल भी खराब होती है और उसकी क्वालिटी भी लेकिन अब इस अनोखे सोलर ट्रैप से दवा का खर्च भी बचेगा और कीट से भी मुक्ति।
किट, जो की हर खेत में मौजूद होते हैं वे फसल को बर्बाद कर देते हैं। इनकी रोकथाम के लिए कीटनाशकों का इस्तेमाल करना होता है, जो महंगे होने के साथ-साथ खेत की मिट्टी, हवा, पानी और फसल को दूषित करते हैं।
मुख्य अवयव :-
1. एक सोलर प्लेट
2. एक बैटरी
3. कीटाणु को आकर्षित करने के लिए अल्ट्रा वायोलेट एलईडी लैंप
4. कीटो को इकठ्ठा करने के लिए प्लास्टिक टब
कार्य करने की विधि :-
कीट इस प्रकाश की और आकर्षित होकर इस लैंप पर बैठते हैं और सीधे नीचे गिरते हैं. लैंप के नीचे केरोसिन या जला हुआ डीज़ल वाला पानी होता है. कीटाणु इसमें गिरते ही मर जाते हैं.
इस सोलर ट्रेप को कपास, फुलगोभी, सब्जियों की फसलों व अन्य फसलों के खेत में यह सोलर लैंप लगाया जाता है तो जैसे ही रात होती है लैंप अपने आप जल उठता है ,और कुछ ही समय में हजारों कीट लैंप की रोशनी में इकट्ठा होने शुरू हो जाते हैं और उसके नीचे रखे तेल के पानी में गिर-गिर कर मर जाते हैं. जो कीटाणु खेत में कपास को खाने के लिए आते हैं वे इस लैंप की लाइट में अपनी जान गंवा देते हैं।
प्रकृति फाउंडेशन के कृषि विशेषज्ञ दिनेश रेगर बताते हैं कि इस सोलर ट्रैप का राजस्थान कृषि प्रतिस्पर्धा त्मक परियोजना अंतर्गत कृषि गतिविधि के तहत 25 % अनुदान पर उपलब्ध है। इसकी कुल कीमत 100% जो कि 3460 रुपये है ।
किसान को 865 रुपये हिस्सा राशि देनी पड़ती है।
कृषि विशेषज्ञ बताते है कि अब तकनीक का इस्तेमाल अन्य सभी किसान करें तो खेतों से कीटो की समस्या से काफी हद तक निजात मिल सकती है।
इको फ्रेंडली तकनीक :-
दिनेश रेगर बताते है कि यह तकनीक पूरी तरह से इको फ्रेंडली है।
इससे फसल पर केमिकलों का छिड़काव 20 फीसदी तक कम हो जाता है।
और किसान की फसल की क्वालिटी अच्छी बनी रहती है।
वह बताते हैं कि दो एकड़ खेत के लिए एक सोलर ट्रेप काफी होता है और दिन में चार्ज होने के बाद यह 5 घंटे तक चलता है। 5 साल तक इस तकनीक पर अलग से कोई खर्चा नहीं होता है।
कृषि विशेषज्ञ बताते है कि अगर इस ट्रैप का ज्यादा से ज्यादा किसान इस्तेमाल करें , तो खेती में होने वाले केमिकलों के इस्तेमाल को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
हालांकि यह तकनीक देश के कई इलाकों में काफी समय से इस्तेमाल हो रही है।

दिनेश रेगर
कृषि विशेषज्ञ
मोबाईल - 7665888385
प्रकृति फाउंडेशन
Racp जाखम क्लस्टर ,प्रतापगढ़
this post only education Purpose........

सोलर ट्रैप :-
कीटो से मुक्ति और केमिकल का खर्चा हुआ कम
सोलर ट्रैप, कीटाणुओं से मुक्ति और केमिकल का खर्चा हुआ कम।
सोलर लैंप में हजारों किट लैंप की रोशनी में इकट्ठा होने शुरू हो जाते हैं और उसके नीचे रखे तेल (केरोसीन) के पानी में गिर-गिर कर मर जाते हैं। सोलर ट्रैप जिससे खेत में फसल को नुकसान पहुंचाने वाले किट मर जाते हैं।
फसल को किट से बचाने के लिए उस पर दवाई छिडकनी पड़ती है, जिससे फसल भी खराब होती है और उसकी क्वालिटी भी लेकिन अब इस अनोखे सोलर ट्रैप से दवा का खर्च भी बचेगा और कीट से भी मुक्ति।
किट, जो की हर खेत में मौजूद होते हैं वे फसल को बर्बाद कर देते हैं। इनकी रोकथाम के लिए कीटनाशकों का इस्तेमाल करना होता है, जो महंगे होने के साथ-साथ खेत की मिट्टी, हवा, पानी और फसल को दूषित करते हैं।
मुख्य अवयव :-
1. एक सोलर प्लेट
2. एक बैटरी
3. कीटाणु को आकर्षित करने के लिए अल्ट्रा वायोलेट एलईडी लैंप
4. कीटो को इकठ्ठा करने के लिए प्लास्टिक टब
कार्य करने की विधि :-
कीट इस प्रकाश की और आकर्षित होकर इस लैंप पर बैठते हैं और सीधे नीचे गिरते हैं. लैंप के नीचे केरोसिन या जला हुआ डीज़ल वाला पानी होता है. कीटाणु इसमें गिरते ही मर जाते हैं.
इस सोलर ट्रेप को कपास, फुलगोभी, सब्जियों की फसलों व अन्य फसलों के खेत में यह सोलर लैंप लगाया जाता है तो जैसे ही रात होती है लैंप अपने आप जल उठता है ,और कुछ ही समय में हजारों कीट लैंप की रोशनी में इकट्ठा होने शुरू हो जाते हैं और उसके नीचे रखे तेल के पानी में गिर-गिर कर मर जाते हैं. जो कीटाणु खेत में कपास को खाने के लिए आते हैं वे इस लैंप की लाइट में अपनी जान गंवा देते हैं।
प्रकृति फाउंडेशन के कृषि विशेषज्ञ दिनेश रेगर बताते हैं कि इस सोलर ट्रैप का राजस्थान कृषि प्रतिस्पर्धा त्मक परियोजना अंतर्गत कृषि गतिविधि के तहत 25 % अनुदान पर उपलब्ध है। इसकी कुल कीमत 100% जो कि 3460 रुपये है ।
किसान को 865 रुपये हिस्सा राशि देनी पड़ती है।
कृषि विशेषज्ञ बताते है कि अब तकनीक का इस्तेमाल अन्य सभी किसान करें तो खेतों से कीटो की समस्या से काफी हद तक निजात मिल सकती है।
इको फ्रेंडली तकनीक :-
दिनेश रेगर बताते है कि यह तकनीक पूरी तरह से इको फ्रेंडली है।
इससे फसल पर केमिकलों का छिड़काव 20 फीसदी तक कम हो जाता है।
और किसान की फसल की क्वालिटी अच्छी बनी रहती है।
वह बताते हैं कि दो एकड़ खेत के लिए एक सोलर ट्रेप काफी होता है और दिन में चार्ज होने के बाद यह 5 घंटे तक चलता है। 5 साल तक इस तकनीक पर अलग से कोई खर्चा नहीं होता है।
कृषि विशेषज्ञ बताते है कि अगर इस ट्रैप का ज्यादा से ज्यादा किसान इस्तेमाल करें , तो खेती में होने वाले केमिकलों के इस्तेमाल को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
हालांकि यह तकनीक देश के कई इलाकों में काफी समय से इस्तेमाल हो रही है।

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