सुक्ष्म सिंचाई क्या है ? | What is Micro Irrigation - Blog 51
- सुक्ष्म सिंचाई क्या है ?
- सुक्ष्म सिंचाई का विकास
- भारत में सुक्ष्म सिंचाई
- सुक्ष्म सिंचाई की प्रणाली
- सिचाई के उद्देश
- सुक्ष्म सिंचाई के हनिया
- निष्कर्ष
1. सुक्ष्म सिंचाई क्या है ?
- सूक्ष्म सिंचाई सिंचाई की एक वैज्ञानिक एवं उन्नत सिंचाई प्रणाली है, जिसमें बहुत ही कम पानी का उपयोग करके अधिक से अधिक फसल उत्पादन कर सकते हैं ।
- सुक्ष्म सिंचाई विधि मुख्य रुप से कुछ क्षेत्रों के लिए उपयोगी है। जहां पर पानी की कमी है। जिससे 70 - 80 % पानी की बचत होती हैं।
2. सुक्ष्म सिंचाई का विकास :
- 1860 - सबसे पहले जर्मनी में कुछ कार्य किये गये।
- 1913 - अमेरिका के कालोरेड़ो में श्री हॉउस द्वारा एक अध्ययन किया गया।
- 1920 - जर्मनी में एक महत्वपूर्ण सफलता मिली जब छिद्र वैल पाइप से ड्रिप सिंचाई आंरभ की गई।
- 1940 - सिम्बा ब्लास नामक एक इजरायली इंजीनियर ने यह देखा कि नल के निकट जो वृक्ष था वह नया वृक्षों की तुलना में अधिक विकसित तथा। कारण अधिक विकसित वृक्ष को नल से रिसता हुआ
- 1960 - के बाद उत्तरोतर वृद्धि हुई। अमेरिका, आस्ट्रलिया, इजराइल, मैक्सिको में व्यापक रूप में तथा कनाडा, साइप्रस, फ्रांस, ईरान, न्यूजीलैंड, इंग्लैंड, ग्रीस और भारत में यह प्रणाली अंशतः अपनाई गई।
3. भारत में सुक्ष्म सिंचाई :
- 1960 - मात्र 40 हेक्त्तेयर क्षेत्र था।
- 1975 - में बढ़कर 54,000, हेक्टेयर ।
- 1986 - में बढ़कर 10,81,631 हेक्टयेर ।
- 1998 - में 26,71,561 हेक्टेयर हो गया ।
- वर्त्तमान - आज देश में 3.51 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल हैं।
- उपरोक्त आंकड़े यह बताते हैं कि करीब कुछ वर्षों में कई गुना वृद्धि सूक्ष्म सिंचाई के अंतर्गत हुई।
- भारत में टपक सिंचाई के अन्तर्गत सर्वाधिक क्षेत्रफल वाले मुख्य राज्य महाराष्ट्र (94 हजार हेक्टेयर), कर्नाटक (66 हजार हेक्टेयर) और तमिलनाडु (55 हजार हेक्टेयर) हैं।
4. सुक्ष्म सिंचाई की प्रणाली सुक्ष्म :
- Drip Irrigation
- Sprinkler Irrigation
- Micro sprinklers
- Micro jets
- Rain Guns
- Gravity fed Drip System
- Semi permanent sprinkler system
5. सिंंचाई के उद्देश :
- जल बचत और फसल पैदावार एवं गुणवत्ता में वृद्धि।
- उबड़-खाबड़ या ढालू भूमि पर भी सिंचाई के लिए अनुकूलता।
- कम खरपतवार।
- इस विधि में उर्वरक, सूक्ष्म पोषक तत्व, कीटनाशक एवं कवकनाशी का उपयोग भी कर सकते हैं।
- फसल उत्पादन की लगत में कमी।
- इसमें जल का वितरण समान रूप से होता है।
6. सुक्ष्म सिंचाई के हनिया :
- सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली का आरंभिक संस्थापन (installation) खर्चीला होता है।
- इस विधि का मेंटेनेंस एंवम रखरखाव अधिक करना पड़ता है।
- गाढ़े जल (turbid water) को इस सिंचाई विधि से उपयोग में नही लाया जा सकता क्योंकि इससे निकास के जाम होने का खतरा होता है।
7. निष्कर्ष :
- अन्ततः इस निष्कर्ष पर पहुँचा जा सकता है कि सूक्ष्म सिंचाई तकनीक में जल का उपयोग अल्पव्ययी तरीके से पौधों की सिंचाई हेतु होता है। सिंचाई की यह तकनीक न सिर्फ जल एवं मृदा संरक्षण को सुनिश्चित करती है अपितु इससे फसल पैदावार भी अधिक होती है। अतः संपोषित विकास के लक्ष्य प्राप्ति हेतु सूक्ष्म सिंचाई आज समय की आवश्यकता है।
Youtube link : https://youtu.be/zKmXDQymsMI
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