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अप्रैल, 2018 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

जैविक खाद के लाभ | Benefits of organic farming - Blog 37

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जैविक खाद के लाभ जैविक खादों के प्रयोग से मृदा का जैविक स्तर बढ़ता है, जिससे लाभकारी जीवाणुओं की संख्या बढ़ जाती है और मृदा काफी उपजाऊ बनी रहती है। ● जैविक खाद पौधों की वृद्धि के लिए आवश्यक खनिज पदार्थ प्रदान कराते हैं, जो मृदा में मौजूद सूक्ष्म जीवों के द्वारा पौधों को मिलते हैं जिससे पौधों स्वस्थ बनते हैं और उत्पादन बढ़ता है। ● रासायनिक खादों के मुकाबले जैविक खाद सस्ते, टिकाऊ तथा बनाने में आसान होते हैं। इनके प्रयोग से मृदा में ह्यूमस की बढ़ोतरी होती है व मृदा की भौतिक दशा में सुधार होता है। ● पौध वृद्धि के लिए आवश्यक पोषक तत्वों जैसे नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश तथा काफी मात्रा में गौण पोषक तत्वों की पूर्ति जैविक खादों के प्रयोग से ही हो जाती है। ● कीटों, बीमारियों तथा खरपतवारों का नियंत्रण काफी हद तक फसल चक्र, कीटों के प्राकृतिक शत्रुओं, प्रतिरोध किस्मों और जैव उत्पादों द्वारा ही कर लिया जाता है। ● जैविक खादें सड़ने पर कार्बनिक अम्ल देती हैं जो भूमि के अघुलनशील तत्वों को घुलनशील अवस्था में परिवर्तित कर देती हैं, जिससे मृदा का पी-एच मान 7 से कम हो जाता है। अतः इससे सू...

Moringa drumstick cultivation | मोरिनगा सहजन की खेती - Blog 36

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Moringa drumstick cultivation (मोरिनगा सहजन की खेती) AR 32 Exeter quality seeds ( MORINGA) ➡️ सहजनमुनगा मोरिनगा सहरजना के नाम से जाना जाता है ! हर घर सहजन पेड लगाएं स्वस्थ निरोगी काया पाए ।  ・सहजन की खेती करे कमाए प्रति एकड जमीन से 2 लाख से 2.5 लाख तक की अछि कमाई कर सकते हैं । ・Moringa AR 32 एक धूप ओर गर्मी सहन करने वाला पौधा है। कम रख -रखाव के साथ अच्छा परिणाम देता है ・AR 32 की पहली फसल है जो 6-7 महीने में ली जाती है । पहले वर्ष में 20 से 25 किलो तक पैदावार देता है दूसरे वर्ष में 35 से 40 किलो तक पैदावार देता रहेगा और 7 से 8 साल तक मोटी कमाई कर सकते हैं । ・प्रति एकड जमीन में 1200 पौधे रोपे जाते हैं । पौधे से पौधे की दूरी 5 × 8  फिट पर लगा सकते हैं । ・पौध रोपण करने के 3 माह में फुल (flooring start ) और 6 से 7 माह में फली उतारना शुरू हो  जाती है ओर लगातार 6 माह तक लगातार फली उतरती है ओर 6 माह पौधे को रेस्ट देना पडता है ताकि आने वाले वर्ष मे फसल मे बढोतरी मिले ओर पौधे आयु ओर फसल की गुणवत्ता बढती है । ・सहजन की खेती से अधिक से अधिक मुनाफा कमा सकते हैं ...

केचुओं के जीवनचक्र से संबंधित जानकारियाँ | Life cycle of Earthvarn - Blog 35

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||केचुओं के जीवनचक्र से संबंधित जानकारियाँ || 1. केंचुए द्विलिंगी (Bi-sexual or hermaphodite ) होते हैं अर्थात एक ही शरीर में नर (Male) तथा मादा (Female) जननांग (Reproductive Organs) पाये जाते हैं। 2. द्विलिंगी होने के बावजूद केंचुओं में निषेचन (Fertilization) दो केंचुओं के मिलन से ही सम्भव हो पाता है क्योंकि इनके शरीर में नर तथा मादा जननांग दूर-दूर स्थित होते हैं और नर शुक्राणु (Sperms) व मादा शुक्राणुओं (Ovums) के परिपक्व होने का समय भी अलग-अलग होता है। सम्भोग प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद केंचुए कोकून बनाते हैं। कोकून का निर्माण लगभग 6 घण्टों में पूर्ण हो जाता है। 3. केंचुए लगभग 30 से 45 दिन में वयस्क (Adult) हो जाते हैं और प्रजनन करने लगते हैं। 4. एक केंचुआ 17 से 25 कोकून बनाता है और एक कोकून से औसतन 3 केंचुओं का जन्म होता है। 5. केंचुओं में कोकून बनाने की क्षमता अधिकांशतः 6 माह तक ही होती है। इसके बाद इनमें कोकून बनाने की क्षमता घट जाती है। 6. केंचुओं में देखने तथा सुनने के लिए कोई भी अंग नहीं होते किन्तु ये ध्वनि एवं प्रकाश के प्रति संवेदनशील होते हैं औ...

आम के रोग और बचाव | Mango Disease and Treatment - Blog 34

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आम पर लगने वाले रोग व उनसे बचाव के उपाय:- १. सफेद चूर्णी रोग (पाउडरी मिल्ड्यू)-   बौर आने की अवस्था में यदि मौसम बदलने वाला हो या बरसात हो रही हो तो यह बीमारी प्रायः लग जाती है। इस बीमारी के प्रभाव से रोगग्रस्त भाग सफेद दिखाई पड़ने लगता है। अंततः मंजरियां और फूल सूखकर गिर जाते हैं। इस रोग के लक्षण दिखाई देते ही आम के पेड़ों पर ५ प्रतिशत वाले गंधक के घोल का छिड़काव करें। इसके अतिरिक्त ५०० लिटर पानी में २५० ग्राम कैराथेन घोलकर छिड़काव करने से भी बीमारी पर नियंत्रण पाया जा सकता है। जिन क्षेत्रों में बौर आने के समय मौसम असामान्य रहा हो वहां हर हालत में सुरक्षात्मक उपाय के आधार पर ०.२ प्रतिशत वाले गंधक के घोल का छिड़काव करें एवं आवश्यकतानुसार दोहराएं। २. कालवूणा (एन्थ्रेक्नोस)-   यह बीमारी अधिक नमी वाले क्षेत्रों में अधिक पाई जाती है। इसका आक्रमण पौधों के पत्तों, शाखाओं और फूलों जैसे मुलायम भागों पर अधिक होता है। प्रभावित हिस्सों में गहरे भूरे रंग के धब्बे आ जाते हैं। प्रतिशत ०.२ जिनकैब का छिड़काव करें। जिन क्षेत्रों में इस रोग की सम्भावना अधिक हो वहां सुरक्षा के तौर पर पहले ही घ...

Reality of April fool | अप्रैल फूल किसी को कहने से पहले इसकी वास्तविक सत्यता जरुर जान ले - Blog 33

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"अप्रैल फूल" किसी को कहने से पहले इसकी वास्तविक सत्यता जरुर जान ले.!! पावन महीने की शुरुआत को मूर्खता दिवस कह रहे हो !! पता भी है क्यों कहते है अप्रैल फूल (अप्रैल फुल का अर्थ है - हिन्दुओ का मूर्खता दिवस). ?? ये नाम अंग्रेज ईसाईयों की देन है… मुर्ख हिन्दू कैसे समझें "अप्रैल फूल" का मतलब बड़े दिनों से बिना सोचे समझे चल रहा है अप्रैल फूल, अप्रैल फूल ??? इसका मतलब क्या है.?? दरअसल जब ईसाइयत अंग्रेजो द्वारा हमे 1 जनवरी का नववर्ष थोपा गया तो उस समय लोग विक्रमी संवत के अनुसार 1 अप्रैल से अपना नया साल बनाते थे, जो आज भी सच्चे हिन्दुओ द्वारा मनाया जाता है, आज भी हमारे बही खाते और बैंक 31 मार्च को बंद होते है और 1 अप्रैल से शुरू होते है, पर उस समय जब भारत गुलाम था तो ईसाइयत ने विक्रमी संवत का नाश करने के लिए साजिश करते हुए 1 अप्रैल को मूर्खता दिवस "अप्रैल फूल" का नाम दे दिया ताकि हमारी सभ्यता मूर्खता लगे अब आप ही सोचो अप्रैल फूल कहने वाले कितने सही हो आप ? याद रखो अप्रैल माह से जुड़े हुए इतिहासिक दिन और त्यौहार 1. हिन्दुओं का पावन महिना इस दिन से...