किसान का हित हम सभी का हित - Blog 14
किसान का हित हम सभी का हित :--
हम लोग अपने बच्चों को डेढ़ लाख की मोटर साइकल, लाख का मोबाइल लेकर देने में एक बार भी नहीं कहते कि महँगा है, और किसानों की माँग पर बहस करते है कि दूध और गेहूँ महँगा हो जाएगा। माॅल्स में जाकर अंधाधुंध पैसा उजाड़ने वाले हम सभी गेंहूँ की कीमत बढ़ जाने से डर रहे हैं।
तीन सौ रुपये किलो के भाव से मल्टीप्लैक्स के इंटरवल में पॉपकॉर्न खरीदने वाले मक्का के भाव किसान को तीन रुपये किलो से अधिक न मिलें इस पर बहस कर रहे है।
एक बार भी कोई नहीं कह रहा कि मैगी, पास्ता, कॉर्नफ़्लैक्स के दाम बहुत हैं। सबको किसान का क़र्ज़ दिख रहा है और यह कि उस क़र्ज़ की माफी की माँग करके किसान बहुत नाजायज़ माँग कर रहा है।
यह जान लीजिए कि किसान क़र्ज़ में आप और हमारे कारण डूबा है। उसकी फसल का उसको वाजिब दाम इसलिए नहीं दिया जाता क्योंकि उससे खाद्यान्न महँगे हो जाएँगे।
1975 में सोने का दाम 500 रुपये प्रति दस ग्राम था और गेंहू का समर्थन मूल्य किसान को मिलता था 100 रुपये। आज चालीस साल बाद गेंहू लगभग 1500 रुपये प्रति क्विंटल है मतलब केवल पन्द्रह गुना बढ़ा और उसकी तुलना में सोना आज तीस हज़ार रुपये प्रति दस ग्राम है मतलब 60 गुना की दर से महँगाई बढ़ी मगर किसान के लिए उसे पन्द्रह गुना ही रखा गया।
इसके बाद भी सबको किसान से ही परेशानी है।यदि किसान आंदोलन करने की बजाय हमारे लिए खेती करना छोड़ दे तो क्या होगा ? बस अपने परिवार के लायक उपजाए और कुछ न करे तो क्या होगा ?
किसान को कहिए कि आप साठ से अस्सी रुपये लीटर दूध और कम से कम साठ रुपये किलो गेंहू खरीदने के लिए तैयार हैं, कुछ कटौती अपने ऐश और आराम में कर लीजिएगा। नहीं तो कल जब अन्न ही नहीं उपजेगा तो फिर तो आप बहुराष्ट्रीय कंपनियों से उस दाम पर खरीदेंगे ही जिस दाम पर वे बेचना चाहेंगी।
दूसरा रास्ता यह भी है किसान प्रकृति खेती करें जिससे उसकी लागत कम हो और उत्पादन अधिक हो और हमें विषमुक्त खाद्यान्न अभी चल रहे कीमत पर मिलता रहे।
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