किसान को जैविक खेती शुरू करने से पहले निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए - Blog 09
किसान को जैविक खेती शुरू करने से पहले निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए
1 जैविक खेती के लिए सबसे पहले किसी अच्छे संस्थान या गुप से प्रशिक्षण लेना चाहिए
2 फिर मिट्टी की जांच एवं पानी की जांच करवानी चाहिए
3 किसान को यह संकल्प लेना चाहिए कि वह अपने खेत में रसायनों का प्रयोग नहीं करेगा
4 किसान को धैर्य के साथ जैविक खेती के बताएं गये तरीके अपनाना चाहिए
जैविक खेती शुरू करने के लिए सबसे पहले मानसिकता बदलनी जरुरी है ।।
फिर विधिवत प्रशिक्षण लेना चाहिये ।।
संकल्प लेना होगा कि आज के बाद कभी भी रासायनिक खाद ,, रासायनिक कीटनाशक व खरपतवार नाशक का उपयोग बन्द करना होगा
किसी भी कार्य को करने पहले कुछ असमंजस हो तो किसी भी प्रशिक्षित व्यक्ति या संस्था से परामर्श ले कर कार्य करें
ताकि नुकसान न हो और भरपूर उत्पादन लिया जा सके
जैविक खेती शुरू करने से पहले उचित प्रशिक्षण और दृढ़ इच्छाशक्ति होनी चाहिए तथा रासायनिक खादों कीटनाशक पेस्टीसाईड दवाओं का त्याग करके देशी गाय के गोबर गौ मूत्र आदि के प्रयोग से तमाम तरह के जीवाणु कल्चर तैयार करने चाहिए और मिट्टी की जांच करानी चाहिए फसलों की आवश्यकता अनुसार लाभदायक जीवाणुओं का सृजन और हानिकारक जीवाणुओं के परिजीवी विभिन्न जीवाणु कल्चर के द्वारा तैयार करने चाहिए।
जैविक खेती शुरू करने से पहले हमें खेती करने के तौर तरीकों को अच्छी तरह समझना होगा इसके लिए उचित प्रशिक्षण और दृढ़ इच्छाशक्ति होनी चाहिए साथ ही रासायनिक खेती से होने वाली हानि को भी ध्यान में रखते हुए कीटनाशक दवाओं का त्याग कर अधिकाधिक जैविक साधनों जैसे गाय का गोबर गौ मूत्र आदि का प्रयोग करते हुए से सभी प्रकार के जीवाणु कल्चर तैयार करना सीखना चाहिए और मिट्टी की जांच करवाकर आवश्यकतानुसार भूमि शोधन बीजोपचार आदि सभी प्रकार की विधियां अपनाते हुए फसल की आवश्यकता अनुसार लाभदायक जीवाणुओं का प्रयोग करते हुए खेती प्रारम्भ करनी चाहिए।
बीज को प्रारंभिक फफूंद और कीटो से सुरक्षा करने के लिए और बीज की सुसुप्तावस्था को खत्म करने के लिए विभिन्न जैविक कल्चर से बीज का शुद्धिकरण ही बीजशोधन कहलाता है।प्रत्येक बीज की अपनी सुसुप्तावस्था होती है जिसको हम बीज शोधन द्वारा तोड़ते हैं।
हर बीज की अंकुरित होने की एक अवस्था होती है जब तक किसी बीज को एक उपयुक्त परिस्थिति नहीं मिलती तब तक बीज अंकुरित नही होता है।
बीज शोधन करने का प्रमुख कारण है कि हमे बीज को प्रारंभिक फफूंद और कीटो से सुरक्षा करना होती है साथ ही बीज की सुसुप्तावस्था भी हमे खत्म करना होता है।
प्रत्येक बीज की अपनी सुसुप्तावस्था होती है जिसको हम बीज शोधन द्वारा तोड़ते हैं।
बीज शोधन अथवा बीजोपचार की विधियां-
१. धूप द्वारा बीज शोधन
२.गर्म पानी द्वारा
नमक के घोल द्वारा बीज उपचार
३.जीवाणु कल्चर द्वारा बीज उपचार (ट्राईकोडर्मा विरडी फफूंदनाशी, फास्फोरस विलेयकारी जीवाणु, ऐजोटोबेक्टर जीवाणु, राइजोबियम जीवाणु, स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस आदि द्वारा)
४.बीजामृत द्वारा
५.गौमूत्र द्वारा
६.छाछ और हींग के घोल द्वारा भी बीजोपचार किया जा सकता है।
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